Delhi pollution SC Hearing: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (18 नवंबर) को सुनवाई हुई। जस्टिस अभय एस.ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वायु गुणवत्ता खराब होने के बावजूद एंटी- पॉल्यूशन (anti-pollution) उपायों में देरी क्यों हुई। कोर्ट ने सवाल किया, हमें AQI 300 से ज्यादा होने का इंतजार क्यों करना पड़ा?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी कि किसी भी प्रतिबंध को हटाने से पहले उसे कोर्ट को सूचित करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय समय पर लागू किए जाएं। सरकार की देरी पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा, "हमें इंतजार क्यों करना पड़ता है कि हालात खराब हो जाएं और तब कदम उठाए जाएं।'

GRAP नियमों की अनदेखी पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
केंद्र सरकार ने दलील दी कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आधार पर स्टेज 3 को लागू करने में देरी हुई। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी गंभीर परिस्थितियों में मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। केंद्र ने यह भी कहा कि अब स्टेज 4 लागू करने की स्थिति बन गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कि बिना कोर्ट की अनुमति के स्टेज 4 से नीचे नहीं जाया जाएगा, भले ही AQI 300 से नीचे आ जाए।

क्या है GRAP और इसकी कैटेगरी?
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई योजना है। इसे चार श्रेणियों में बांटा गया है। स्टेज I को खराब (AQI 201-300) माना गया है। स्टेज II को बहुत खराब (AQI 301-400) माना गया है। स्टेज III को  गंभीर (AQI 401-450) की श्रेणी में रखा गया है। वहीं,  स्टेज IV को  गंभीर प्लस (AQI >450) कैटेगरी में रखा गया है।  GRAP के तहत हर स्तर पर पाबंदियां लगाई जाती हैं। स्टेज 3 और स्टेज 4 में निर्माण कार्य, वाहनों की आवाजाही और औद्योगिक गतिविधियों पर कड़ी पाबंदी लगाई जाती है।

दिल्ली सरकार से स्टेज 4 लागू करने पर जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के बयान के बाद दिल्ली सरकार से पूछा कि स्टेज 4 की पाबंदियां लागू करने की क्या तैयारी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब बिना उनकी अनुमति के स्टेज 4 से नीचे नहीं आया जा सकता। कोर्ट ने GRAP की गाइडलाइन्स को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया।

एमिकस क्यूरी ने सरकार को बताया नाकाम
एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) अपराजिता सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे महानगर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। याचिका में दिल्ली-एनसीआर में वाहनों के प्रदूषण, पराली जलाने और निर्माण कार्यों से होने वाले प्रदूषण का मुद्दा उठाया गया है।

पिछली सुनवाई में भी लगाई थी फटकार
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियों को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने पूछा था कि खतरनाक हालात बनने से पहले एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए? सोमवार को दिल्ली सरकार और  कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए एहतियाती कदमों पर अपना जवाब सौंपेगी। 

दिल्ली-एनसीआर में गंभीर होता प्रदूषण संकट
दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। 1 नवंबर को यह 300 के पार था, जो 18 नवंबर तक बढ़कर 495 तक पहुंच गया। वायु प्रदूषण की इस स्थिति से दिल्लीवासियों की सेहत पर असर पड़ रहा है। मौजूदा समय में दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची टॉप पर पहुंच चुका है। एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

कोर्ट के सख्त सवाल और सरकारी जवाबदेही
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) से पूछा था कि जब स्थिति खराब हो रही थी, तब ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का फेज 3 पहले क्यों नहीं लागू किया गया। कोर्ट ने यह भी कहा था कि खतरनाक हालात बनने से पहले ही कदम उठाए जाने चाहिए थे। एमिकस क्यूरी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियां प्रदूषण को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रही हैं।

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दीवाली के दौरान पटाखों पर बैन का मुद्दा
कोर्ट ने 11 नवंबर को पटाखों पर बैन के उल्लंघन पर भी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि स्वच्छ वातावरण हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। कोई भी धर्म प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों का समर्थन नहीं करता। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया गया कि वह दो हफ्तों के भीतर यह तय करे कि पटाखों पर बैन को पूरे साल के लिए बढ़ाया जाए या नहीं।

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प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदमों की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर को कहा था कि अगले साल दिवाली के दौरान पटाखों पर बैन का उल्लंघन न हो, इसके लिए अभी से ठोस कदम उठाने की जरूरत है। कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए सख्त कार्रवाई जैसे कैंपस सील करने की बात कही थी। कोर्ट ने सरकार को याद दिलाया कि प्रदूषण नियंत्रण में नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिक होनी चाहिए।