Dussehra 2024: दशहरा यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। देशभर में विजयादशमी का पर्व इसी रूप में मनाया जाता है। हम 10 सिर वाले रावण को जलाने में तो बहुत इंटरेस्ट दिखाते हैं, लेकिन अपने अंदर के रावण को, उसकी बुराइयों को खत्म करने के बारे में कभी नहीं सोचते हैं। रावण अहंकार का, ताकत के मद का, सत्ता के लोभ का एक प्रतीक है। ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें हमें अपने भीतर से भी खत्म करने की जरूरत है। बुराई के इस प्रतीक के साथ समाज में व्याप्त अन्य बुराइयों का दहन करना भी जरूरी है। आइए जानते हैं दशहरा रावण के पुतले के साथ हमें अपने अंदर से किन दस बुराइयों को जलाकर खत्म करने की कोशिश करनी है।
अपने अंदर की 10 बुराइयों को जलाएं
- बदलाव से डरना: हम आगे तभी बढ़ते हैं, जब बदलाव से नहीं डरते और हर परिवर्तन के लिए तैयार रहते हैं।
- ईर्ष्या: मन में जो ईर्ष्या की भावना है, उसे जलाकर खत्म कर दें।
- अहंकार: अहंकार व्यक्ति को पतन की ओर ले आता है। इसलिए अहंकार को अपने अंदर से बाहर निकालें।
- आलस: आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। आज का काम अभी करने की आदत डालें।
- आत्म-संदेह का दहन करें: यह आपको नया करियर और नया रास्ता चुनने से रोक रहा है।
- डर को जलाएं: असफलता के डर को जला दें।
- समझौता: अपने करियर के साथ कोई समझौता न करें। बड़े सपने देखें और हासिल करने के लिए मेहनत करें।
- दूसरों से तुलना करना: कभी भी दूसरों से अपनी तुलना न करें। यह सफलता की राह में बहुत बड़ी दीवार है।
- लापरवाही: जीवन के किसी जरूरी काम के प्रति कभी लापरवाही न बरतें। इस बुरी आदत से आज ही तौबा करें।
- दूसरों की नकल करना: वह काम न करें, जो हर कोई कर रहा है। कुछ नया करें, नया सोचे, नई राह चुनें।
समाज में फैली 10 बुराइयों का करें दहन
- कुपोषण के दंश को दूर करने की जरूरत है।
- गरीबों को गरीबी से निजात दिलाकर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने का कार्य हमें सेवाभाव मानकर करना चाहिए।
- भीख मांगने वाले बच्चों को मुख्य धारा शिक्षा से जोड़कर उनका भविष्य उज्जवल करने की कोशिश करने की जरूरत है।
- हमें अपने घरों के साथ चौक, चौराहों और गलियों में फैली गंदगी को भी दूर करना चाहिए।
- अशिक्षा के कलंक को मिटाकर शिक्षा का स्तर मजबूत करना होगा।
- बाल विवाह को पूरी तरह से समाप्त करने की जरूरत है।
- शहर, गांव को प्रदूषण मुक्त बनाकर पर्यावरण के प्रति आमजन को जागरूक करने की जरूरत है।
- नशे के नुकसान बताकर समाज के लोगों को जागरूक करना चाहिए।
- समाज में फैली सूदखोरी और उसके जाल में फंसने वालों को जागरूक करने की जरूरत है।
- भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की जरूरत है।