Manmohan Singh political journey: भारत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन एक दशक तक पीएम रहते देश के लिए उन्होंने जो ऐतिहासिक काम किए हैं, वह हमेशा हमारी स्मृतियों में रहेंगे। मनमोहन सिंह 10 साल बातौर प्रधानमंत्री देश की बागडोर संभाली, लेकिन खुद को कभी राजनीतिक व्यक्ति नहीं माना। उनकी प्राथमिकता में हमेशा देश की आर्थिक उन्नति और जन कल्याण रहा है।
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री से पहले वित्तमंत्री, आरबीआई गवर्नर, योजना आयोग और यूजीसी चेयरमैन जैसी कई अहम जिम्मदारियां संभाली। 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक रिजर्व बैंक के गर्वनर रहे। इस दौरान भारत के बैंकिंग सेक्टर में व्यापक सुधार हुए। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में नया अध्याय जोड़कर शहरी बैंक विभाग बनाया गया।
डॉ. मनमोहन सिंह आरबीआई गवर्नर के बाद भारत के वित्त मंत्री बने। बतौर वित्त मंत्री भारत में उदारीकरण सहित कई सुधार किए। 80-90 के दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था दयनीय हालत में थी। पूर्ववर्ती सरकार को सोना गिरवी रखना पड़ था, लेकिन 1991 से 1996 तक वित्त मंत्री रहते मनमोहन सिंह ने न सिर्फ भारतीय इकनॉमी को पटरी पर लाने का काम किया, बल्कि उसमें ऐसे सुधर किए कि 2008-2009 में आई वैश्विक मंदी भारत में बेअसर रही। आर्थिक सुधारों की दृष्टि से उनका यह कार्यकाल ऐतिहासिक रहा।
भारत-अमेरिका परमाणु सौदा बड़ी उपलब्धि
मनमोहन सिंह की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर बातचीत थी। इस समझौते से भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से छूट और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली। इस डील से भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास यह तकनीक है।
कई पदों को सुशोभित किया
मनमोहन सिंह 1971 में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बनाए गए थे। 1972 में वह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किए गए। इसके अलावा वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, पीएम के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष भी रहे हैं।
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बतौर वित्तमंत्री मनमोहन सिंह का योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने आर्थिक सुधारों की व्यापक नीति लागू की। जिसे दुनियाभर में सराहा गया। इन सुधारों ने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर नई दिशा दी।
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मनमोहन सिंह का सियासी सफर
डॉ. मनमोहन सिंह 1991 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने। असम से वह पांच बार और 2019 में एक राजस्थान से राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए। 1998 से 2004 तक वाजपेयी सरकार में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1999 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2004 में जब वह प्रधानमंत्री बनाए गए, तब भी राज्यसभा सदस्य थे।