Fake Doctors Arrested in Surat: गुजरात के सूरत में पुलिस ने फर्जी डॉक्टरी का बड़ा गिरोह पकड़कर 14 फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह पिछले 32 साल से बेरोजगारों को ₹70 हजार में फर्जी डॉक्टरी डिग्री बेच रहा था। इतना ही नहीं, यह गिरोह रजिस्ट्रेशन रिन्यू करने के नाम पर 5 हजार रुपए की भी वसूली करता था। हैरानी की बात यह है कि इनमें से एक आरोपी केवल 8वीं पास है, लेकिन मरीजों का इलाज कर रहा था।

32 साल से चल रहा था फेक डिग्री बेचने का रैकेट  
गुजरात पुलिस ने जांच में पाया कि यह गिरोह 1990 से फर्जी डॉक्टरी सर्टिफिकेट बेच रहा था। अब तक 1200 से ज्यादा लोगों को फर्जी डिग्रियां दी जा चुकी हैं। मुख्य आरोपी रमेश गुजराती और बीके रावत ने बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी (BEHMS) के नाम पर ये फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए थे। बताया जा रहा है कि मास्टरमांइड रमेश गुजराती ने 2002 में सूरत के गोपीपुरा इलाके में एक कॉलेज खोला। हालांकि, बेहद कम स्टूडेंट्स आने की वजह से कॉलेज बंद हो गया। इसके बाद वह डिग्री बेचने का काम करने लगा।

पुलिस ने तीन क्लिनिक पर मारा छापा
सूचना मिलने पर पुलिस ने पांडेसरा इलाके में तीन क्लिनिक पर छापा मारा। यहां से सैकड़ों एप्लिकेशन, फर्जी सर्टिफिकेट और डॉक्टरी डिग्रियां बरामद की गईं। रजिस्ट्रेशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वेबसाइट भी फर्जी निकली। पुलिस के अनुसार, गिरोह ने 3 साल की जगह 2 साल में डिग्री पूरी करवाने और 15 दिन में सर्टिफिकेट देने की योजना बना रखी थी।  

ये भी पढें: गुजरात में फर्जी कोर्ट का भंडाफोड़: नकली अदालत चलाने वाला जज गिरफ्तार, 100 एकड़ सरकारी जमीन भी कब्जाई

बच्ची की मौत होने के बाद खुला राज
गिरफ्तार किए गए फर्जी डॉक्टरों में से एक शमीम अंसारी के गलत इलाज के चलते एक बच्ची की मौत हो गई। इसके बाद फर्जी डॉक्टरों के इस रैकेट का खुलासा हो गया। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। रमेश गुजराती के घर से पुलिस को 7 रजिस्ट्रेशन बुक्स, 15 रीन्यू कार्ड्स और कई खाली सर्टिफिकेट मिले। इन सभी का इस्तेमाल फर्जी डिग्री बेचने के लिए किया जाता था।  

ये भी पढें: Gujarat News: गुजरात में बड़े ड्रग्स रैकेट का भंडाफोड़, 5000 करोड़ रुपये का कोकीन बरामद

फर्जी डिग्री बेचने का नेटवर्क
गिरोह ने इलेक्ट्रो-होम्योपैथी के लिए किसी सरकारी मान्यता के अभाव का फायदा उठाकर अपना नेटवर्क खड़ा किया था। 70 हजार रुपए में डिग्री देने और इलेक्ट्रो-होम्योपैथी दवाओं की ट्रेनिंग देने का काम पांच लोगों की टीम करती थी। पुलिस अब गिरोह के दूसरे सदस्यों और फर्जी डिग्री लेकर प्रैक्टिस करने वाले लोगों की तलाशी के लिए अभियान शुरू कर दिया है।