Indian Railway Kavach: देश की जीवन रेखा कहे जाने वाली भारतीय रेलवे हर रोज़ लाखों यात्रियों को सफर कराती है। रेल नेटवर्क के 1.3 लाख किलोमीटर ट्रैक पर प्रतिदिन 2.3 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। इतनी बड़ी प्रणाली के सुचारू संचालन और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेलवे ने कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कदम है कवच सुरक्षा तकनीक (Indian Railway Kavach)।
हादसों से कवच करेगा सुरक्षा
भारतीय रेलवे ने दशकों से कई बड़े हादसे देखे हैं, जिनमें 1995 में हुए फिरोजाबाद हादसा शामिल है, जिसमें 358 लोगों की जान गई थी। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेलवे ने अपने सिस्टम को अपग्रेड करने और आधुनिक तकनीकें लाने पर काम किया। कवच प्रणाली इन्हीं प्रयासों का एक हिस्सा है, जो ट्रेन संचालन को सुरक्षित बनाने में मदद करती है।
कवच सुरक्षा प्रणाली क्या है?
कवच, एक Automatic Train Protection (ATP) सिस्टम है, जिसे भारत में ही विकसित किया गया है। इसे रेलवे ट्रैक्स और ट्रेनों के बीच समन्वय स्थापित करके हादसों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम ट्रेनों की गति और स्थिति की लगातार निगरानी करता है और किसी भी संभावित खतरे की स्थिति में ऑपरेटर को सतर्क करता है। जरूरत पड़ने पर यह ट्रेन को खुद-ब-खुद रोकने की क्षमता भी रखता है।
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कैसे काम करता है कवच?
कवच सिस्टम को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) द्वारा HBL Power Systems, Kernex और Medha के साथ मिलकर विकसित किया गया है। यह ट्रेनों की गति को नियंत्रित करता है और दुर्घटनाओं के समय ट्रेन को रोकने का कार्य करता है। यह सिस्टम ख़राब मौसम में भी बिना किसी बाधा के ट्रेनों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
कवच के प्रभाव और रेलवे सुरक्षा में प्रगति
कवच की वजह से रेलवे हादसों में बड़ी कमी देखी गई है। वर्ष 2000-01 में जहां 473 दुर्घटनाएं हुईं, वहीं 2023-24 में यह संख्या घटकर 40 रह गई। इससे स्पष्ट होता है कि कवच ने रेलवे सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय रेलवे ने अगले पांच वर्षों में 44,000 किलोमीटर ट्रैक पर कवच को लागू करने की योजना बनाई है। 2023 तक 301 लोकोमोटिव और 273 रेलवे स्टेशनों पर यह तकनीक लागू की जा चुकी है और जल्द ही बाकी हिस्सों में भी इसे लागू किया जाएगा।
कवच के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और आवश्यकताएं
कवच को पूरी तरह लागू करने के लिए रेलवे ट्रैक्स का विद्युतीकरण और ऑप्टिकल फाइबर कम्युनिकेशन की ज़रूरत है। अब तक 4,000 किलोमीटर ट्रैक पर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाया जा चुका है और 356 कम्युनिकेशन टॉवर्स लगाए गए हैं। कवच तकनीक भारतीय रेलवे को आधुनिक और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार ने भी रेलवे सुरक्षा के लिए 2017 में 1 लाख करोड़ रुपये का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष शुरू किया, जिसे 2023 में 45,000 करोड़ रुपये से और बढ़ाया गया। इस प्रकार, भारतीय रेलवे अपने यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।