Dowry Section 498A: बेंगलुरु में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) इंजीनियर के खुदकुशी मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। मूलत: बिहार के रहने वाले 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष ने दो दिन पहले फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया था। उसने अपने लंबे-चौड़े सुसाइड नोट में पत्नी और ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना के झूठे मुकदमे में फंसाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसके आधार पर पत्नी निकिता सिंघानिया, उसके भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ बेंगलुरु पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कर लिया है।
इंजीनियर ने सोशल मीडिया के जरिए वीडियो, सुसाइड नोट और मैसेज में अपना दर्द बयां किया है। उसे सुनकर हर कोई सन्न है और सोचने पर मजबूर है कि क्या आजकल महिलाओं को दहेज प्रताड़ना से बचाने वाले सेक्शन 498A का गलत इस्तेमाल हो रहा है और इसके जरिए झूठे मुकदमे दर्ज कराकर गुजारा भत्ता के नाम पर पुरुषों का शोषण किया जा रहा है। इसे लेकर देशभर में एक लंबी बहस छिड़ती नजर आ रही है।
'फेक फेमिनिज्म की कड़ी निंदा करनी चाहिए'
बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत को "दिल दहला देने वाला" बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाएं कानूनों का दुरुपयोग करके अपने पति से पैसे वसूलती हैं। यह घटना पूरे देश के लिए एक सदमे जैसी है। आत्महत्या से पहले बनाया गया वीडियो बेहद दर्दनाक है। हमें फेक फेमिनिज्म की कड़ी निंदा करनी चाहिए। पीड़ित इंजीनियर से करोड़ों रुपए की उगाही की जा रही थी। हालांकि, 99 फीसदी मामलों में पुरुष ही दोषी होते हैं, इसीलिए ऐसी घटनाएं होती हैं।
पुरुषों के लिए सुरक्षा की मांग उठी
मृतक अतुल सुभाष के भाई ने मीडिया से कहा कि पुरुषों को कानूनी सुरक्षा की जरूरत है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी गंभीर घटना के बावजूद अब तक किसी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। मैं अपने भाई के लिए न्याय चाहता हूं। कानून पुरुषों के लिए भी होने चाहिए, क्योंकि वे भी उत्पीड़न का शिकार होते हैं। सरकार को यह समझना चाहिए कि पुरुष का जीवन भी महिला के जीवन जितनी ही अहमियत रखता है।
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धारा 498A के दुरुपयोग पर बहस शुरू
दिल्ली के वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने ANI से कहा कि दहेज प्रताड़ना से जुड़े सेक्शन 498A का कई बार दुरुपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाएं अपने पति और ससुरालवालों से पैसा वसूलने के लिए इस कानून का दुरुपयोग करती हैं। पाहवा ने कहा, "झूठे आरोप सिर्फ पति पर ही नहीं, बल्कि उसके परिवार और रिश्तेदारों पर भी लगाए जाते हैं। हालांकि, मैं यह नहीं कहता कि सभी मामले झूठे हैं, लेकिन ज्यादातर मामले समझौते के लिए दबाव बनाने के मकसद से दर्ज कराए जाते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस अक्सर बिना जांच किए मामले दर्ज करती है और लेनदेन समझौते से इन्हें निपटाने की कोशिश करती है।
दहेज प्रताड़ना कानून में सुधार के सुझाव
वकील पाहवा ने कानून में सुधार के लिए कुछ सुझाव दिए हैं।
- धारा 498ए को जमानती बनाया जाए, ताकि मनमाने ढंग से गिरफ्तारी न हो।
- कानून को जेंडर-न्यूट्रल बनाया जाए, ताकि पति भी प्रताड़ना की शिकायत दर्ज कर सकें।
- मामले दर्ज करने से पहले मीडिएयर को अनिवार्य किया जाए, ताकि दोनों पक्षों को सुलह का मौका मिले।
- झूठे मामलों में जवाबदेही तय की जाए और गलत आरोप लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
उल्लेखनीय है कि दहेज प्रताड़ना से जुड़ा सेक्शन 498A महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन इसके कथित दुरुपयोग से कानून की साख पर सवाल उठ रहे हैं। बदलते समय के साथ कानून में संतुलन और न्याय सुनिश्चित करने के लिए सुधार आवश्यक हैं।