Dahej Pratadna: कर्नाटक हाईकोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इसमें महिला के ससुराल वालों पर आरोपों को खारिज करने से इंकार किया गया है। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने यह फैसला उस चायिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है, जिसमें सास-ससुर ने अपने खिलाफ लगे आरोप रद्द करने की मांग की थी।

आरोपों में भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (क्रूरता), 504 (गाली-गलौज), 506 (धमकी), 323 (शारीरिक उत्पीड़न), 324 (घातक हथियार से हमला) और 34 (सामूहिक अपराध) शामिल थे।

याचिकाकर्ता की मांग 
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने कभी दहेज की मांग नहीं की। आरोप सिर्फ पति के खिलाफ हैं, लेकिन हम लोगों को अनावश्यक रूप से मामले में घसीटा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत दंडनीय अपराध हटा दिए गए हैं। इसलिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 498A के तहत आरोप नहीं लगाए जा सकते।

गवाहों ने की प्रताड़ना की पुष्टि
कर्नाटक हाईकोर्ट ने महिला द्वारा प्रस्तुत सबूतों को गंभीरता से लिया है। इनमें महिला के साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न की पुष्टि होती है। चश्मदीद गवाह ने भी बताया कि याचिकाकर्ताओं ने महिला पर हमला किया है।

दूसरे अपराध नजरअंदाज नहीं सकते
कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह भी कहा-दहेज निषेध अधिनियम के तहत अपराध हटा दिए गए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे अपराधों की जांच को नजरअंदाज किया जाए। इस फैसले ने यह स्थापित किया कि अगर किसी महिला के खिलाफ उत्पीड़न हुआ है, तो उसके खिलाफ सबूतों के आधार पर न्याय सुनिश्चित किया जाएगा, भले ही दहेज के लिए आरोप न लगाए गए हों।