Kolkata rape case protest: कोलकाता में हुए रेप-मर्डर केस के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। बुधवार शाम कोलकाता समेत कई हिस्सों में लोगों ने अपने घरों की लाइट्स बंद कर कैंडल जलाकर प्रदर्शन किया। यहां तक कि कोलकाता के राजभवन में भी ब्लैकआउट कर इस घटना के खिलाफ विरोध जताया गया। इस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। 

IMA प्रमुख की डॉक्टर्स से अपील: काम पर लौटें
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रमुख आरवी अशोकन ने बुधवार को एक बयान जारी कर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की। उन्होंने कहा कि रेप-मर्डर केस में गुस्सा सही है, लेकिन इंसाफ का काम सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ना चाहिए। मेडिकल पेशा सबसे पहले मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी है, जिसे कभी रोका नहीं जाना चाहिए।


26 दिनों से जारी है जूनियर डॉक्टर्स का प्रदर्शन
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में 26 दिन से विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जूनियर डॉक्टर्स इस मामले में आरोपियों को सजा दिलाने और पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे विरोध जारी रखेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की अपील: न्याय और चिकित्सा नहीं रुकनी चाहिए
IMA प्रमुख अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट की अपील का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट ने भी कहा है कि डॉक्टरों को अपनी जिम्मेदारियों पर लौटना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में सुरक्षा व्यवस्था के बारे में भी कहा है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। डॉक्टर्स का काम मरीजों की देखभाल करना है, इसलिए उन्हें काम पर लौट आना चाहिए। 

CPI(M) सांसद का बयान: ‘अपराजिता बिल’ बेकार है
पीड़िता के परिवार के वकील और CPI(M) सांसद बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने ‘अपराजिता बिल’ को लेकर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस बिल का कोई मतलब नहीं है। यह सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का केंद्रीय सरकार को निशाना बनाने का एक कदम है। यह बिल समयसीमा में न्याय दिलाने का वादा करता है, लेकिन वास्तविकता में इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा। 

ममता बनर्जी का केंद्र पर निशाना, विपक्ष का विरोध
CPI(M) के वकील भट्टाचार्य ने कहा कि ममता सरकार ने यह बिल सिर्फ इसलिए लाया है ताकि केंद्र सरकार से टकराव किया जा सके। राष्ट्रपति से इस बिल को पास करवाना मुश्किल होगा, जिसके बाद ममता केंद्र के खिलाफ फिर से विरोध जताने का मौका पा लेंगी। इस कदम का मकसद असली मुद्दों से ध्यान भटकाना है, न कि पीड़िता को न्याय दिलाना।