Manipur Violence: मणिपुर में लापता कुछ लोगों के शव मिलने के बाद से हिंसा तेज हो गई है। भीड़ ने छह विधायकों और तीन मंत्रियों के घरों में हमला बोला दिया। इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस दफ्तर में भी तोड़फोड़ की गई है। मणिपुर में हिंसा और तनाव के बाद NNP ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। यहां के हालात को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाई लेवल मीटिंग की है। इस मीटिंग में NSA अजीत डोभाल भी शामिल हुए। 
 
मीटिंग में मणिपुर में हिंसा और तनाव के चलते स्कूल, कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया गया है। राज्य में शांति बहाल करने के लिए पांच हजार से अधिक जवानों को तैनात करने का फैसला लिया गया है। सरकार ने स्थानीय प्रशासन को हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका सहित अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल रहे। 

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मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा? 
मणिपुर में राहत शिविर से लापता महिलाओं और बच्चों के अलग-अलग दिन शव मिलने के बाद हिंसा भड़क उठी। आंदोलनकारी भीड़ ने तीन मंत्रियों और मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के दामाद समेत छह विधायकों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की। लोगों का कहना है कि महिलाओं और बच्चों की उग्रवादियों ने हत्या की है। सोमवार (11 नवंबर) को सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में 10 कुकी उग्रवादी मारे गए थे। उग्रवादियों के हमले के बाद से बुजुर्ग महिला, उसकी दो बेटियां और तीन नाबालिग पोते-पोतियों का पता नहीं चल पा रहा था।

गुस्साई भीड़ ने रविवार (17 नवंबर) को निंगथौखोंग में लोक निर्माण मंत्री गोविंददास कोंथौजम, लंगमेइदोंग बाजार में भाजपा विधायक वाई. राधेश्याम, थौबल जिले में भाजपा विधायक पोनम ब्रोजेन और इंफाल पूर्वी जिले में कांग्रेस विधायक टी. लोकेश्वर के घरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। हमले के वक्त विधायक और उनके परिवार के सदस्य घर पर नहीं थे।

बीरेन सिंह सरकार से NPP ने समर्थन वापस लिया 
मणिपुर में हिंसा और तनाव के बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी ( National People's Party) के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने मणिपुर के अपने समकक्ष एन बीरेन सिंह पर निशाना साधा। संगमा ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी ने एनपीपी ने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार सेअपना समर्थन वापस ले लिया है, एनडीए से नहीं। उन्होंने कहा कि अगर पड़ोसी राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होता है तो पार्टी इस फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है।

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