Mukhtar Ansari Death News: मुख्तार अंसारी का 60 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के बांदा में दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार रात निधन हो गया। गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार की बांदा जेल में तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। जेल प्रशासन ने बताया कि रोजा तोड़ने के बाद मुख्तार की तबीयत अचानक खराब हुई थी। मुख्तार के परिवार का इतिहास शानदार रहा है। ऐसे में लोग यकीन नहीं करते कि मुख्तार जैसा माफिया वाकई क्या एक प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखता था।
मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश में मऊ से पांच बार विधायक रहा। उसके खिलाफ 60 से अधिक मामले लंबित थे। वह बांदा जिला जेल में बंद था। आजादी की लड़ाई में गहरी जड़ें रखने वाले परिवार में जन्मे अंसारी की अंडरवर्ल्ड में एंट्री उनके शानदार फैमिली बैकग्राउंड से एक अलग राह थी।
कौन था मुख्तार अंसारी?
मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था। 1960 में जन्मे मुख्तार अंसारी के पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद के राजनीतिक परिदृश्य में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध था। उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस में एक प्रमुख शख्सियत थे और 1927 में अध्यक्ष भी बनाए गए थे।
अलगाववादी एजेंडे के कारण खुद को अलग करने से पहले मुख्तार अहमद अंसारी मुस्लिम लीग से भी जुड़े थे। उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया के चांसलर के रूप में भी कार्य किया। इस पद पर वे 1936 में अपनी मृत्यु तक बने रहे। वहीं, भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा थे।
नाना को मिला था महावीर चक्र
ननिहाल पक्ष में मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में एक सम्मानित अधिकारी थे। उन्होंने 1948 में पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में सर्वोच्च बलिदान दिया और मरणोपरांत महावीर चक्र अर्जित किया।
गाजीपुर में मुख्तार के घर पर लगी भीड़, देखें VIDEO...
#WATCH | Morning visuals from the residence of Gangster-turned-politician Mukhtar Ansari in Ghazipur.
— ANI (@ANI) March 29, 2024
He passed away at Banda Medical College Hospital in Banda after he suffered a cardiac arrest. pic.twitter.com/IWasWqJ4qe
पूर्वांचल में बोलती थी तूती
समृद्ध विरासत के बावजूद मुख्तार अंसारी ने बिल्कुल अलग रास्ता चुना। उनका आपराधिक करियर 1980 के दशक में पूर्वांचल की अराजकता के बीच शुरू हुआ, जो सरकारी ठेकों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले आपराधिक गिरोहों के लिए कुख्यात क्षेत्र था।
मुख्तार अंसारी का नाम तेजी से उभरा। उनका नाम पूरे उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन गया। हत्या, हत्या का प्रयास, सशस्त्र दंगे और धोखाधड़ी सहित कई आपराधिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के कारण उन्हें कई मामलों में दोषी ठहराया गया।
अंसारी का नाम 1988 में गाजीपुर में भूमि विवाद को लेकर सच्चिदानंद राय की हत्या से जुड़ा। वहीं, माफिया ब्रिजेश सिंह से लंबी अदावत चली। अप्रैल 2009 में कपिल देव सिंह, अगस्त 2009 में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह और राम सिंह मौर्य की हत्या में भी अंसारी का नाम आया।
मुख्तार अंसारी की दुश्मनी इस कदर बढ़ गई थी कि 2002 में उनके काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया। जिसमें उनके तीन लोग मारे गए थे और क्षेत्र में जमकर रक्तपात हुआ था।
1996 में रखा राजनीति में कदम
क्रिमिनल हिस्ट्री के बावजूद मुख्तार अंसारी ने 1996 में राजनीति में कदम रखा। इसके बाद वे पांच बार मऊ सीट से विधायक बने। अंसारी को कुछ लोगों ने उसे एक रॉबिन हुड की छवि में देखा तो वहीं अन्य ने उसे उसकी आपराधिक गतिविधियों के चश्मे से देखा।
मुख्तार अंसारी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में भी रहा। जहां उसे गरीबों के मसीहा बताया गया। हालांकि बीएसपी से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपने भाइयों के साथ कौमी एकता दल (क्यूईडी) का गठन किया।
मुख्तार अंसारी का कार्यकाल सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और व्यक्तिगत लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करने के आरोपों से भी घिरा रहा। जेल में रहने के बावजूद, अंसारी की धाक पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर बरकरार रही। उनके बेटे अब्बास अंसारी सहित उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी राजनीतिक विरासत को जारी रखा।
रोपड़ जेल से बांदा लाया गया
मुख्तार अंसारी करीब 17 साल जेल में रहा। मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर के सामने सरेंडर किया था। पहले गाजीपुर जेल में रखा गया। फिर वहां से मथुरा, आगरा, बांदा जेल भेजा गया। फिर एक मामले में उसे पंजाब की रोपड़ जेल में शिफ्ट किया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे 7 अप्रैल 2021 को रोपड़ से बांदा जेल लाया गया था। तब से वह बांदा जेल में बंद था।