Indo-Pacific: भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में 2023 से हर महीने औसतन 11 चीनी वॉरशिप की मौजूदगी को देखते हुए भारत ने पनडुब्बी डिटरेंस (प्रतिरोध नीति) को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। मोदी सरकार ने इस महीने दो परमाणु शक्ति संचालित हमलावर पनडुब्बियों (SSN) मैन्यूफ्रेक्चर करने को हरी झंडी दी है। इससे संकेत मिलता है कि भारत ने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर वॉरशिप के बजाय पनडुब्बियों (Submarines) को प्राथमिकता दी है, क्योंकि विमानवाहक पोत को चीनी लंबी दूरी की मिसाइलों से खतरा हो सकता है।
चेन्नई के तट के पास देखा गया चीनी निगरानी जहाज
भारतीय समुद्री क्षेत्र में बढ़ती चीनी हलचल के बीच सुरक्षा रणनीतिकारों ने भारतीय महासागर के दक्षिणी हिस्से में PLA (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) की निगरानी और रोकथाम के लिए परमाणु पनडुब्बियों को प्रमुख साधन बनाया है। फिलहाल चीनी निगरानी जहाज 'Xiang Yang Hong 3' चेन्नई के तट के पास और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर 'Yuan Wang 7' मॉरीशस के तट के पास स्थित हैं। IOR में हर महीने 7-8 चीनी नौसैनिक युद्धपोत और 3-4 अर्धसैनिक जहाज देखे जा सकते हैं और भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है।
इंडो-पैसिफिक रीजन में 2 न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन तैनात
- भारत पहले ही 2 न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन्स को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तैनात कर चुका है और तीसरी सबमरीन INS अरिधमान अगले साल तक नौसेना में शामिल होगी। INS अरिहंत, जो 750 किलोमीटर रेंज वाली K-15 मिसाइलों से लैस है, के अलावा अन्य पनडुब्बियां K-15 और 3500 किलोमीटर रेंज की K-4 मिसाइल कॉम्बिनेशन से लैस होंगी।
- इसके अलावा, इंडियन नेवी को 2028 तक रूस से दूसरी अकुला कैटेगरी की न्यूक्लियर अटैक सबमरीन लीज पर मिलने की उम्मीद है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस प्रोजेक्ट में देरी हुई है, लेकिन भारतीय नौसेना 2027 के अंत तक इसे हिसाल करने के लिए रूस पर प्रेशर बना रही है।
3 एडवांस कलवरी पनडुब्बियों के निर्माण को मोदी सरकार की मंजूरी
इस फैसले से साफ है कि भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएं बदल रही हैं। अब पाकिस्तान प्रमुख विरोधी नहीं है, बल्कि चीन से समुद्री और जमीनी खतरा बढ़ा है। 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रामकता के बाद भारत ने समुद्री डिटरेंस ऑप्शंस पर अपना फोकस बढ़ाया है, क्योंकि हमारा अधिकांश व्यापार अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह के तट से होकर गुजरता है। हालांकि, मोदी सरकार ने 3 और एडवांस कलवरी (स्कॉर्पीन) कैटेगरी की डीजल पनडुब्बियों के निर्माण को भी मंजूरी दी है, जो क्षेत्रीय खतरों से निपटने के साथ-साथ भारत को स्कॉर्पीन सबमरीन के निर्यात का केंद्र बनाने में मदद करेगी।