Next CM of Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की भारी जीत के बावजूद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर सस्पेंस तीसरे दिन भी जारी है। 14वीं राज्य विधानसभा का कार्यकाल आज, मंगलवार (26 नवंबर) को समाप्त हो रहा है। मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन ने अभी तक इस बात पर अंतिम फैसला नहीं किया है कि सीएम पद किसे मिलेगा।
एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपना इस्तीफा राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को सौंपा। इस दौरान डिप्टी सीएम अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस भी शिंदे के साथ मौजूद थे। नए मुख्यमंत्री के चयन तक शिंदे कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते रहेंगे।
अजित पवार भाजपा के समर्थन में
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा नेता चाहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनें, जबकि शिवसेना विधायक शिंदे को सीएम बने रहने के लिए कह रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि अजित पवार की अगुवाई वाली NCP ने फडणवीस का समर्थन करने का फैसला किया है। भाजपा के पास 132 विधायक हैं, शिवसेना के पास 57 और एनसीपी के पास 41 विधायक हैं। इसका मतलब है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में 145 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए भाजपा को अपने दो सहयोगियों में से केवल एक की जरूरत है। ऐसे में शिंदे के पास सीएम पद के लिए सौदेबाजी के बहुत कम मौके बचे हैं।
शिंदे ने समर्थकों से की शांति बनाए रखने की अपील
भाजपा नेतृत्व इस बात पर विचार-विमर्श कर रहा है कि किसे सीएम पद मिलेगा। इस बीच शिवसेना नेताओं के एक समूह ने मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले वर्षा के बाहर इकट्ठा होने की योजना बनाई। यह सभी एकनाथ शिंदे के लिए शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश में थे। लेकिन शिवसेना प्रमुख ने दखल दिया और उन्हें ऐसा नहीं करने की अपील की। शिंदे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा,मेरे प्रति प्यार के कारण कुछ लोगों ने सभी से एक साथ इकट्ठा होने और मुंबई आने की अपील की है। मैं आपके प्यार के लिए बहुत आभारी हूं। लेकिन मेरी यह अपील है कि कोई भी ऐसे मेरे समर्थन में एक साथ न आए।
शिवसेना नेताओं ने दिया बिहार हरियाणा का उदाहरण
शिवसेना के नेताओं ने 'बिहार मॉडल' का हवाला दिया है। शिवसेना प्रवक्ता नरेश म्हास्के ने 'बिहार मॉडल' का हवाला देते हुए कहा कि भले ही विधानसभा में भाजपा के पास ज्यादा सीटें हों लेकिन एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए। म्हास्के ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, 'हमें लगता है कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे बिहार में भाजपा ने संख्या पर ध्यान नहीं दिया। जेडी(यू) नेता नीतीश कुमार को सीएम बनाया। महायुति (महाराष्ट्र में) के वरिष्ठ नेताओं को आखिरी में ऐसा ही फैसला लेना चाहिए। म्हास्के ने हरियाणा का उदाहरण भी दिया, जहां भाजपा ने मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ही चुना।
भाजपा नेता बोले- देवेंद्र फडणवीस को जनादेश मिला है
हालांकि, भाजपा के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि लोगों ने देवेंद्र फडणवीस को जनादेश दिया है। एमएलसी ने कहा, "महाराष्ट्र के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीछे खड़े हैं। मेरी राय में, फडणवीस को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। महाराष्ट्र को एक चतुर और विद्वान नेता की जरूरत है। उन्होंने गठबंधन को एकजुट रखा, हमारे सहयोगियों को उम्मीदवार दिए और ज़रूरत पड़ने पर पीछे भी हट गए। उन्होंने हमेशा समन्वय बनाए रखा है।"
भाजपा नेता फडणवीस को बनाना चाहते हैं सीएम
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेता सीएम पद के लिए फडणवीस पर जोर दे रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर किसी दूसरे को सीएम बनाया गया तो पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा की वैचारिक मातृ संस्था आरएसएस, भी नागपुर दक्षिण-पश्चिम से विधायक फडणवीस के पक्ष में है। ऐसा माना जा रहा है कि आरएसएस अगले साल अपना शताब्दी समारोह मनाएगा। ऐसे में आरएसएस चाहता है कि राज्य में अगला सीएम भाजपा का हो।
क्या 2019 जैसी स्थिति दोबारा बन रही है?
2019 के महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने क्रमशः 105 और 56 सीटें जीतीं। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद पैदा हो गए। इसके तुरंत बाद, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गठबंधन तोड़ दिया और सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। हालांकि, यह सरकार उस समय गिर गई जब शिंदे ने विद्रोह कर दिया और उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ कर बीजेपी के साथ आ मिले। इस बगावत की वजह से शिंदे को सीएम का पोस्ट मिल गया
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पांच साल बाद अपने पूर्व बॉस जैसी स्थिति में शिंदे
पांच साल बाद, एकनाथ शिंदे ठीक उसी स्थिति में है जिसमें कभी उनके पूर्व बॉस थे। लेकिन एक बड़ा अंतर है। जब तक एनसीपी समर्थन करती है, तब तक भाजपा को सरकार बनाने के लिए शिवसेना के समर्थन की जरूरत नहीं होगी। ऐसा कहा जा रहा है कि अजित पवार की पार्टी पहले से ही इसके लिए तैयार है। अब शिंदे के पास मंत्री पद के बंटवारे के लिए मोलतोल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। हालांकि, सीएम पद से पीछे हटने से शिंदे को विपक्षी खेमे से आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है। उद्धव ठाकरे ने यह कहते हुए कटाक्ष किया है कि शिंदे को नई सरकार में देवेंद्र फडणवीस के नीचे काम करना होगा।
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क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का खतरा है?
मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा में देरी के कारण यह कहा जा रहा है कि विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले नई सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। लेकिन विधानमंडल के अधिकारियों इन खबरों को खारिज किया है। अधिकारियों के मुताबिक चुनाव अधिकारियों ने रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन को नव-निर्वाचित विधायकों के नामों के साथ राजपत्र की प्रतियां सौंप दी थी। इसका मतलब यह है कि 15वीं विधानसभा पहले ही बन चुकी है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 73 के मुताबिक, निर्वाचित सदस्यों के बारे में अधिसूचना पेश होने के बाद यही माना जाएगा कि सदन का विधिवत गठन हो गया है।