Sandeshkhali Row: सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली मामले में सोमवार को सीबीआई जांच के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) संदेशखाली के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उनके करीबियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपों की जांच जारी रखेगी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने ममता बनर्जी सरकार से यह भी जानना चाहा कि राज्य एक व्यक्ति की सुरक्षा में इतनी रुचि क्यों ले रहा है?
अप्रैल में 42 मामलों की जांच CBI को सौंपी गई
इसी साल फरवरी में बंगाल पुलिस के साथ नाटकीय झड़प के बाद सीबीआई ने शाहजहां को गिरफ्तार किया था। एक दिन बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उसे 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने अप्रैल में शाहजहां और उसके करीबियों के खिलाफ 42 मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी है। इस दौरान कोर्ट ने माना कि यह मामला जटिल है और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
हाईकोर्ट के आदेश को बंगाल सरकार ने दी थी चुनौती
ममता बनर्जी सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने सोमवार को उनकी याचिका खारिज कर दी और हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस के खिलाफ हाईकोर्ट की टिप्पणी से सीबीआई जांच प्रभावित नहीं होनी चाहिए। बता दें कि संदेशखाली मामला शाहजहां और उसके सहयोगियों पर लगाए गए यौन उत्पीड़न, जमीन कब्ज़ाने और राशन घोटाले के कई आरोपों से जुड़ा है।
- TMC पर शाहजहां और करीबियों को बचाने का आरोप
- सीबीआई शाहजहां के समर्थकों द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर किए गए हमले की भी जांच कर रही है, जो शाहजहां पर छापा मारने जा रही थी। हमले में जांच एजेंसी के कई अधिकारी घायल हो गए थे। शाहजहां अपने और करीबियों पर लगे आरोपों के चलते लापता हो गया था।
- इस दौरान टीएमसी पर उन्हें बचाने का आरोप लगाया गया और राज्य में भारी विरोध प्रदर्शन हुए। लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली केस राजनीतिक विवाद में बदल गया, भाजपा ने बशीरहाट सीट से एक स्थानीय महिला को उम्मीदवार के रूप में उतारा, लेकिन वो हार गई।