Electoral Bond Issue: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक बार फिर इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनावी बांड पर सुनवाई हो रही है। शीर्षतम अदालत ने कहा, 'हमने भारतीय स्टेट बैंक से सभी जानकारी का खुलासा करने के लिए कहा था, इसमें चुनावी बॉन्ड नंबर भी शामिल थे। आपको विवरण का खुलासा करने में सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए। हम चाहते हैं कि 21 मार्च की शाम 5 बजे चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक की जाए, जो एसबीआई के पास है। चुनाव आयोग भी पूरा विवरण प्रकाशित करे।'
इस पर एसबीआई के वकील ने कहा कि हम पूरी जानकारी देने को तैयार हैं। हमें इस मुद्दे पर बदनाम किया जा रहा है।
Electoral Bonds: The Supreme Court says in the judgment, it had asked the SBI to disclose all details and that includes the Electoral Bond numbers as well.
— ANI (@ANI) March 18, 2024
SBI should not be selective in disclosing the details, says SC. pic.twitter.com/WlG41lMYmG
एसबीआई को देना होगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई को चुनावी बॉन्ड नंबरों का खुलासा करना होगा। साथ ही एक हलफनामा दायर कर यह भी बताना होगा कि उसने कोई जानकारी नहीं छिपाई है। एसबीआई ने जवाब दिया है कि वह अपने पास मौजूद हर जानकारी देगा और बैंक अपने पास मौजूद किसी भी जानकारी को छिपाकर नहीं रखेगा। एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर देने होंगे तो हम जरूर देंगे।
सीजेआई बोले- कुछ भी दबाया न जाए
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की पीठ ने कहा कि एसबीआई का रवैया ऐसा है कि 'आप हमें बताएं कि क्या खुलासा करना है, हम खुलासा करेंगे'। यह ठीक नहीं है। जब हम सभी विवरण कहते हैं तो इसमें सभी डेटा शामिल है। हर जानकारी सामने आनी चाहिए। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कुछ भी दबाया या छिपाया न जाए।
चुनाव आयोग ने रविवार को जारी किए थे नए आंकड़े
चुनाव आयोग ने रविवार को चुनावी बॉन्ड स्कीम से जुड़े नए आंकड़े जारी किए थे। इसमें बॉन्ड खरीदार और किस पार्टी ने भुनाया, इसकी जानकारी थी। यह पूरी डिटेल एसबीआई की तरफ से उपलब्ध कराए आंकड़ों पर आधारित थी।
14 मार्च को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड की डिटेल अपलोड की थी। लेकिन इसमें कई जानकारियां अधूरी थीं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को पूरा डेटा नहीं साझा करने के लिए एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी। दूसरी ओर चुनाव आयोग ने भी सीलबंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट में जमा किया था। जिसे बाद में कोर्ट ने सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। अदालत ने एसबीआई को बीते 5 साल में खरीदे गए सभी बॉन्ड की जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया था।