Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष (34) की आत्महत्या के मामले में उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा और साले अनुराग को गिरफ्तार किया गया है। तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। पुलिस ने निकिता को गुरुग्राम से और निशा व अनुराग को इलाहाबाद से गिरफ्तार किया। इस केस में निकिता के मामा सुशील फरार हैं। पुलिस ने तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इससे पहले पुलिस ने आरोपियों को तीन दिन के भीतर पेश होने का निर्देश दिया था।
अतुल के सुसाइड नोट और वीडियो में क्या?
- अतुल सुभाष का शव पिछले सोमवार को बेंगलुरु स्थित उनके फ्लैट में मिला। घटनास्थल पर पुलिस को 24 पन्नों का सुसाइड नोट और 80 मिनट का वीडियो मिला। हर पन्ने की शुरुआत "न्याय बाकी है" शब्दों से होती है।
- सुसाइड नोट में अतुल ने लिखा कि उनकी शादी 2019 में मैट्रिमोनी वेबसाइट के जरिए निकिता सिंघानिया से हुई थी। 2020 में उनके बेटे का जन्म हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि निकिता और उनके परिवार ने उन पर बार-बार पैसे देने का दबाव बनाया। जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया तो विवाद बढ़ गया।
- 2021 में निकिता बेटे को लेकर घर छोड़कर चली गईं। 2022 में उन्होंने अतुल और उनके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, क्रूरता और यहां तक कि हत्या के आरोप लगाते हुए केस दर्ज करवा दिए। अतुल ने आरोप लगाया कि इन केसों का मकसद उन्हें परेशान करना और उनसे ₹3 करोड़ की मोटी रकम वसूलना था।
कानूनी व्यवस्था पर सवाल उठे
सुसाइड नोट में अतुल ने न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, "मैं जितनी मेहनत करता हूं, उतना ही मुझे और मेरे परिवार को परेशान किया जाता है। न्याय प्रणाली मेरी परेशानियों को और बढ़ा देती है। मेरे जाने के बाद मेरे परिवार को अब कोई परेशान नहीं करेगा।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निकिता और उनकी मां ने उन्हें दो बार आत्महत्या के लिए उकसाया।
अतुल के परिवार ने दर्ज कराया केस
अतुल के भाई विकास कुमार ने निकिता, उनकी मां निशा, भाई अनुराग और मामा सुशील पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कराया। परिवार ने आरोप लगाया कि बार-बार कोर्ट और पुलिस के चक्कर लगाने के कारण अतुल गंभीर मानसिक तनाव में थे।
सामाजिक आक्रोश और बहस छिड़ी
इस घटना के बाद समाज में दहेज कानून और महिला उत्पीड़न से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग पर बहस छिड़ गई है। कई लोग इन कानूनों में सुधार की मांग कर रहे हैं ताकि उनके दुरुपयोग को रोका जा सके। यह मामला पारिवारिक विवादों और कानूनी प्रक्रिया से जुड़े मानसिक तनाव की ओर ध्यान खींचता है। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि इस मामले में न्याय कैसे होता है।