Logo
CJI DY Chandrachud: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर होंगे। वे सुप्रीम कोर्ट में पदस्थ रहते हुए गोपनीयता, व्यभिचार और LGBTQ अधिकारों पर महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल रहे।

CJI DY Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ का आज (8 नवंबर को) सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस है। वे 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे और इसके बाद 11 नवंबर को जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की कुर्सी संभालेंगे। सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज 8 साल की न्यायिक यात्रा में जस्टिस चंद्रचूड़ कई ऐतिहासिक फैसले शामिल रहे, जिन्होंने भारतीय समाज और कानून को गहराई से प्रभावित किया है। उनके कार्यकाल के दौरान गोपनीयता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, राजनीतिक पारदर्शिता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रमुख फैसले लिए गए हैं। आइए जानते हैं, सीजेआई चंद्रचूड़ के शीर्ष 10 ऐतिहासिक फैसलों के बारे में...

बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई का पद संभाला था और वे देश में सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्य न्यायाधीश भी हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2016 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कामकाज शुरू किया।     

1) इलेक्टोरल बॉन्ड केस (फरवरी 2024)
फैसला: मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने पॉलिटिकल फंडिंग के लिए केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया। अदालत ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पर रोक लगाने और अब तक कैश किए गए बॉन्ड की जानकारी देने का आदेश दिया।

2) निजी संपत्ति अधिकार (नवंबर 2024)
फैसला: सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि सभी निजी संपत्तियों को सामुदायिक संसाधन मानकर पुनर्वितरित नहीं किया जा सकता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बहुमत के इस फैसले में निजी संपत्ति के अधिकारों के महत्व को बनाए रखते हुए सार्वजनिक हित को संतुलित किया।

3) गोपनीयता का अधिकार (अगस्त 2017)
फैसला: ऐतिहासिक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने गोपनीयता को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस फैसले में आपातकालीन अवधि के एक पुराने निर्णय को पलटते हुए इस अधिकार की स्वतंत्रता को स्थापित किया।

4) दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल (मई 2023)
फैसला: पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया कि दिल्ली सरकार के पास प्रशासनिक सेवाओं पर अधिकार है, सिवाय सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के मामलों के। इस फैसले ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्वाचित सरकार के अधिकारों की पुष्टि की।

5) हादिया केस– शादी का अधिकार (अप्रैल 2018)
फैसला: सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने प्रसिद्ध हादिया केस में दो अलग-अलग फैसले सुनाए। एक फैसला पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम. खानविलकर का था, जबकि दूसरा फैसला मौजूदा सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ का था। कोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का हिस्सा है। इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में केरल हाईकोर्ट द्वारा केरल में धर्म बदलकर मुस्लिम बनी लड़की हादिया और शैफिन जहान की शादी को रद्द करने का आदेश खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने फैसले में कहा, "न तो राज्य और न ही कानून किसी व्यक्ति के जीवनसाथी के चयन पर अंकुश लगा सकते हैं। यह संविधान के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है।"

6. धारा 377 का खात्मा (अगस्त 2018)
फैसला: सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने आईपीसी की धारा 377 को असंवैधानिक करार दिया, जो समलैंगिकता को अपराध मानती थी। इस फैसले में कहा गया कि LGBTQ समुदाय के लोग समान नागरिक हैं और लिंग के आधार पर कानून में भेदभाव नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इस निर्णय का हिस्सा थे, जो मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एफ. नारिमन, ए.एम. खानविलकर और इंदु मल्होत्रा के साथ थे।

7) सबरिमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश (सितंबर 2018)
फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया। तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 4-1 के फैसले में कहा कि यह नियम महिलाओं के समानता और पूजा के अधिकार का उल्लंघन करता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसे संविधान के तहत "अछूतता" के रूप में वर्णित किया और कहा कि यह स्वीकार्य नहीं हो सकता।

8) राम मंदिर विवाद पर फैसला (नवंबर 2019)
फैसला: सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने एकमत से फैसला सुनाया कि अयोध्या की विवादित भूमि को राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट को सौंपा जाए और मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में किसी उपयुक्त स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाए। सीजेआई चंद्रचूड़ इस बेंच का हिस्सा थे, जिसमें तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए. बोबडे, अशोक भूषण और एस.ए. नजीर शामिल थे।

9) अर्नब गोस्वामी केस (नवंबर 2020)
फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक और प्रसिद्ध टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अंतरिम जमानत दी। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने गोस्वामी और अन्य दो आरोपियों को 50 हजार रुपए के बॉन्ड पर अंतरिम जमानत दी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने फैसले में निचली अदालतों को याद दिलाया कि उन्हें जमानत देने में जल्दी करनी चाहिए और कानून के दायरे में रहकर फैसले लेने चाहिए।

10) व्यभिचार (एडल्टरी) कानून रद्द किया (सितंबर 2018)
फैसला: सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया, जो व्यभिचार (एडल्टरी) को अपराध मानती थी। इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि राज्य या कानून किसी व्यक्ति के जीवनसाथी के चयन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकते। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बहुमत के फैसले में कहा कि धारा 497 संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है।

5379487