Waqf Bill JPC meeting: भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने शुक्रवार(18 अक्टूबर) को वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में विपक्षी सांसदों पर समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल और एक गवाह को धमकाने का आरोप लगाया। यह आरोप उस समय लगाया गया जब 14 अक्टूबर को कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपड्डी को वक्फ भूमि घोटाले पर बयान देने के लिए बुलाया गया था।
तेजस्वी सूर्या ने विपक्ष के बर्ताव को 'असंसदीय' बताया
संसदीय कार्यवाही के दौरान विपक्षी सांसदों के इस व्यवहार को तेजस्वी सूर्या ने "असंसदीय" बताया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखे एक पत्र में यह जानकारी दी। तेजस्वी सूर्या के अनुसार, जब मणिपड्डी ने 2012 में दी गई अपनी रिपोर्ट के बारे में बताया, जिसमें वक्फ भूमि के बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और बिक्री का जिक्र था, विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और कार्यवाही में व्यवधान डाला।
विपक्षी सांसदों ने भी इस बैठक पर सवाल उठाए
विपक्षी सांसदों ने भी इस बैठक पर सवाल उठाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में 12 से अधिक सांसदों ने आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन विधेयक पर हुई JPC बैठक में संसदीय आचार संहिता का "बड़ा उल्लंघन" हुआ। उन्होंने समिति के प्रमुख जगदंबिका पाल पर पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्यवाही चलाने का आरोप लगाया।
विपक्षी सांसदों का कहना है कि समिति प्रमुख ने कार्यवाही के दौरान निष्पक्षता से काम नहीं किया और केवल भाजपा के पक्ष को समर्थन दिया। यह आरोप भी लगाया गया कि विपक्ष के सदस्यों की बातों को अनसुना कर दिया गया।
वक्फ भूमि घोटाले पर मणिपड्डी की रिपोर्ट का जिक्र
तेजस्वी सूर्या ने अपनी चिट्ठी में कहा कि अनवर मणिपड्डी ने 2012 में दी गई अपनी रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें करीब 2000 एकड़ वक्फ भूमि के अतिक्रमण या बिक्री का आरोप लगाया गया था। इस भूमि की अनुमानित कीमत लगभग 2 लाख करोड़ रुपये बताई गई थी। मणिपड्डी ने कांग्रेस के कुछ नेताओं को इस घोटाले में शामिल बताया था, जिसे सुनकर विपक्षी सांसद भड़क उठे। सूर्या के मुताबिक, यह रिपोर्ट कर्नाटक के वक्फ भूमि घोटाले से जुड़ी थी, जिसमें कई बड़े राजनीतिक नेताओं की संलिप्तता के आरोप लगाए गए थे।
JPC की बैठक में हंगामा और असंसदीय व्यवहार
तेजस्वी सूर्या ने अपने पत्र में दावा किया कि विपक्षी सांसदों ने न केवल कार्यवाही में व्यवधान डाला, बल्कि समिति प्रमुख जगदंबिका पाल और गवाह अनवर मणिपड्डी को शारीरिक रूप से धमकाने की कोशिश भी की। सूर्या का आरोप है कि विपक्षी सांसद समिति के दस्तावेजों को फाड़कर उनके पास पहुंचे और अनुचित व्यवहार किया।तेजस्वी सूर्या का यह भी कहना है कि सांसदों ने समिति की बैठक से बाहर निकलते समय आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। यह घटनाक्रम संसद के नियमों और मर्यादाओं के विपरीत था।
विपक्षी सांसदों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग
सूर्या ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि विपक्षी सांसदों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि संसदीय नियमों और आचार संहिता का पालन करना जरूरी है। उन्होंने विपक्षी सांसदों को उनके असंसदीय व्यवहार के लिए जिम्मेदार ठहराने की भी मांग की। सूर्या का यह भी कहना है कि इस प्रकार का व्यवहार न केवल संसदीय कार्यवाही को प्रभावित करता है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। सूर्या ने मांग की है कि संसदीय मर्यादाओं का पालन न करने वाले सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना दोबारा ना हो।