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KL Sharma Vs Smriti Irani: अमेठी लोकसभा क्षेत्र 2019 के आम चुनाव तक गांधी परिवार का गढ़ रहा था। भाजपा की स्मृति ईरानी ने आम चुनाव में राहुल गांधी को 50 हजार से अधिक वोटों से हराया था। स्मृति ईरानी एक बार फिर मैदान में हैं। केएल शर्मा का मुकाबला स्मृति ईरानी से होगा। 

KL Sharma Vs Smriti Irani: कांग्रेस नेता किशोरी लाल शर्मा आज, शुक्रवार (3 मई) उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से नामांकन दाखिल करेंगे। आज लोकसभा चुनाव के 5वें फेज के लिए नामांकन की लास्ट डेट है। कांग्रेस ने लंबी चर्चा और उहापोह के बाद अमेठी सीट पर केएल शर्मा यानी किशोरी लाल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। अब तक वह सोनिया गांधी के चाणक्य के रूप में रायबरेली में बतौर सांसद प्रतिनिधि काम संभाल रहे थे। शर्मा गांधी परिवार के मिस्टर भरोसेमंद हैं। अमेठी और रायबरेली में 20 मई को वोटिंग होगी। 

अमेठी लोकसभा क्षेत्र 2019 के आम चुनाव तक गांधी परिवार का गढ़ रहा था। भाजपा की स्मृति ईरानी ने आम चुनाव में राहुल गांधी को 50 हजार से अधिक वोटों से हराया था। स्मृति ईरानी एक बार फिर मैदान में हैं। केएल शर्मा का मुकाबला स्मृति ईरानी से होगा। शुक्रवार को जब पार्टी ने उनके नाम का ऐलान किया तो वे अमेठी में थे। पत्रकारों ने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने चुप्पी साधे रखी।  

राहुल गांधी रायबरेली से मैदान में, आज करेंगे नामांकन
उधर, 2004 से 2019 तक लोकसभा में अमेठी का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल गांधी को पार्टी ने सोनिया गांधी की पारंपरिक सीट रायबरेली से उतारा है। राहुल भी आज अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी ने 2004 से 2024 तक रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस साल की शुरुआत में उन्होंने सीट खाली कर दी और राज्यसभा में चली गईं। ऐसी अटकलें थीं कि प्रियंका गांधी वाड्रा इस सीट से चुनाव लड़ेंगी। लेकिन प्रियंका ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। 

Kishori Lal Sharma
Kishori Lal Sharma

कौन हैं किशोरी लाल शर्मा?
किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के विश्वासपात्र हैं। वह रायबरेली में सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि रह चुके हैं। किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार से जुड़े सभी मामलों के लिए रायबरेली और अमेठी में एक पुल की तरह काम करते रहे हैं। केएल शर्मा पंजाब के मूल निवासी हैं। वह पहली बार 1983 में कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अमेठी आए थे। वह कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के साथ घनिष्ठ थे। 

1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के बाद केएल शर्मा अमेठी में कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते रहे। 1990 के दशक में जब गांधी परिवार चुनावी राजनीति से दूर रहा, तो उन्होंने अन्य कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। 1999 में सोनिया गांधी की पहली चुनावी जीत में किशोरी लाल शर्मा ने अहम भूमिका निभाई। गांधी पहली बार अमेठी से जीत के साथ संसद में पहुंचे।

सोनिया गांधी द्वारा अमेठी सीट खाली करने और रायबरेली चले जाने के बाद केएल शर्मा उनके साथ चले गए। 2004 में राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा के लिए चुने गए। बाद में केएल शर्मा ने अमेठी और रायबरेली दोनों में पार्टी के मामलों का प्रबंधन करना शुरू कर दिया।

केएल शर्मा ने बिहार और पंजाब में कांग्रेस पार्टी के लिए भी काम किया है। उन्हें वफादारी का ईनाम मिला है। उनके नामांकन के लिए जिला ईकाई ने तैयारी पूरी कर ली है।

राहुल के अमेठी न लौटने से कार्यकर्ताओं में उत्साह कम
अमेठी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि राहुल गांधी लौटेंगे। लेकिन उनकी उम्मीदों को धक्का लगा है। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव ने कहा कि कोई निराशा नहीं है। हम यहां से जरूर जीतेंगे। केएल शर्मा भी अब (गांधी) परिवार का हिस्सा हैं। उन्होंने 30-35 साल तक अमेठी में गांधी परिवार के लिए काम किया है। कार्यकर्ताओं में कोई नाराजगी नहीं है। केएल शर्मा के नामांकन के लिए गांधी परिवार आ रहा है, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे यहां रहेंगे। 

अजय राय ने कहा- राहुल एक योद्धा
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि लंबे समय से हमारी मांग थी कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ें। रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा मैदान में हैं। वे लोगों के बीच रहे हैं और उनकी सेवा की है। राहुल गांधी की उम्मीदवारी पूरे चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाला है। राहुल एक योद्धा हैं, मुझे उम्मीद थी कि वह पीछे नहीं हट सकते। 

भाजपा ने कहा- वायनाड में हार रहे राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की रायबरेली से उम्मीदवारी पर बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वायनाड से हार रहे हैं और यही वजह है कि वह रायबरेली से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पहले उन्होंने अमेठी से हार स्वीकार की, अब वह वायनाड से भाग रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि कांग्रेस की पारंपरिक सीट रही अमेठी से कांग्रेस का कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ना चाहता। राहुल गांधी को भी रायबरेली छोड़ना होगा और जनता उन्हें बहुत करारा जवाब देगी, वे रायबरेली में हारेंगे। 

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