G7 Summit 2025: इटली में G7 शिखर सम्मेलन खत्म हो गया है। इटली ने इसके आउटरीज सेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था। अब अगली जी7 समिट 2025 में कनाडा में आयोजित होगी। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी X पोस्ट में बताया कि कनाडा अगले साल अलबर्टा में जी7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में खटास जारी है। ऐसे में जब उनसे पूछा गया कि क्या कनाडा इस समिट के लिए प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित करेगा? ट्रूडो ने कहा कि कनाडा के राष्ट्रपति बनने के बाद ही वह शिखर सम्मेलन को लेकर कुछ कह पाएंगे।
मोदी और ट्रूडो इटली में कुछ देर के लिए मिले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के अपुलिया में हालिया G7 शिखर सम्मेलन में कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने X पोस्ट में लिखा था- G7 समिट में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात हुई।
कनाडा में G7 के आयोजन को लेकर क्या बोले ट्रूडो?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ट्रूडो ने कहा- मैं उस उत्सुकता की सराहना करता हूं, जिसके साथ कनाडाई अगले साल के G7 का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, इटली इस साल के बाकी समय के लिए G7 का अध्यक्ष बना रहेगा और मैं प्रधानमंत्री मेलोनी और मेरे सभी G7 साथियों के साथ अहम मुद्दों पर काम करने के लिए उत्सुक हूं, जिनके बारे में हमने बात की। अलबर्टा के कानानास्किस में अगले साल शिखर सम्मेलन को लेकर ट्रूडो ने कहा कि जब हम अगले साल G7 की अध्यक्षता संभालेंगे, तो इसके बारे में कहने के लिए बहुत कुछ होगा।
इटली में पीएम मोदी ने की कई द्विपक्षीय बैठकें
बता दें कि इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने G7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को खासतौर पर आमंत्रित किया था। इसमें यूरोपीय संघ के साथ सात सदस्य देश- अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, इटली, जर्मनी और फ्रांस शामिल हुए। इटली के अपुलिया में जी7 समिट के दौरान पीएम मोदी ने यूके के पीएम ऋषि सुनक, यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोडिमिर ज़ेलेंस्की और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ द्विपक्षीय बैठकें की थीं।
कनाडा ने निज्जर की हत्या से जुड़ा कोई सबूत नहीं सौंपा
कनाडा की संसद में प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पिछले साल जून में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट्स की भूमिका का गंभीर आरोप लगाया था। जिसके बाद से भारत और कनाडा के बीच रिश्ते तनावपूर्ण होते चले गए। हालांकि, कनाडाई प्रधानमंत्री निज्जर की हत्या के मामले में अपने आरोप साबित करने के लिए अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर पाए हैं। जबकि, भारत ने उत्तरी अमेरिकी देश में खालिस्तान समर्थकों के शरण लेने का बार-बार कनाडाई सरकार के समाने विरोध जताया है, लेकिन ट्रूडो दूसरी तरफ देख रहे हैं।