Opinion: भारत एक लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराए। निःसंदेह सरकार द्वारा अपने नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की ढेरों योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, लेकिन बढ़ती जनसंख्या के कारण इसे विस्तार देने की जरूरत है। सामाजिक सुरक्षा का अभिप्राय ऐसी सभी सेवाओं, साधनों और सुविधाओं से है जो नागरिकों को दी जाती है जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर होता है।
श्रम कल्याण का मुख्य संघटक
सामाजिक सुरक्षा श्रम कल्याण का एक मुख्य संघटक है और उसे निरंतर विकास प्रक्रिया के एक अंग के रूप में देखा जाता है। सामाजिक सुरक्षा वैश्वीकरण और उसके कारण होने वाले संरचनात्मक और तकनीकी परिवर्तनों से उपजी चुनौतियों से निपटने में अधिक सकारात्मक रवैये के निर्माण में सहायता प्रदान करती है। सामाजिक सुरक्षा में यह परिकल्पना की जाती है कि नागरिकों को सभी प्रकार के सामाजिक जोखिमों से रक्षा की जाएगी जो उनकी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति में अनावश्यक मुश्किलें उत्पन्न करती हैं।
यह सच्चाई है कि कामगारों के पास बीमारी, दुर्घटना, वृद्धावस्था, रोग और बेरोजगार आदि के कारण उत्पन्न जोखिमों का सामना करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं होता है और संकट के समय में उनकी सहायता करने के लिए जीविका का वैकल्पिक साधन का अभाव होता है, इसलिए कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देना राज्य का दायित्व है। गौर करें तो संपूर्ण यूरोपीय देशों में विस्तृत सामाजिक सुरक्षा लागू है। अमेरिका में भी जनता को लाभ पहुंचाने संबंधी विस्तृत सामाजिक सुरक्षा योजनाएं चालू हैं।
सुरक्षा एक समग्र अधिगम
भारतीय संदर्भ में सामाजिक सुरक्षा एक समग्र अधिगम है जिसका निर्माण व्यक्ति को आर्थिक अभाव से बचाने और व्यक्ति के खुद के लिए तथा उसके आश्रितों के लिए, उन्हें आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति से बचाने हेतु एक न्यूनतम आय की सुनिश्चितता के लिए किया गया है। यह तथ्य भारत के नीति-नियंताओं द्वारा पहचाना गया और तद्नुसार सामाजिक सुरक्षा से संबंद्ध विषयों को राज्य के नीति-निर्देशक तत्व और समवर्ती सूची में संबंद्ध किया गया। राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के तहत अनुच्छेद 41 में कार्य के अधिकार शिक्षा और कुछ मामलों में सार्वजनिक सहायता की व्यवस्था की गयी है। अनुच्छेद 42 में कार्य की उचित और मानवीय परिस्थिति और मातृत्व राहत की व्यवस्था की गयी है।
भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में भी सामाजिक सुरक्षा और बीमा, रोजगार और बेरोजगार, कार्य परिस्थिति, भविष्यनिधियां, नियोक्ताओं का दायित्व, कामगारों की क्षतिपूर्ति अवैधता, श्रम कल्याण, वृद्धावस्था पेंशन और मातृत्व लाभ का उल्लेख है। भारत में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एक सामाजिक सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की है जो कामगार सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सभी कानूनों के प्रशासन के लिए सामाजिक सुरक्षा नीति एवं योजनाएं बनाने और क्रियान्वित करने का कार्य करता है। सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आज देश में पोषण सुरक्षा की देखभाल राष्ट्रीय तैयार मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, समन्वित बाल विकास योजना, किशोरी शक्ति योजना, किशोर लड़कियों के लिए पोषण कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना चलाई जा रही है।
बाल विकास योजना का विस्तार
राष्ट्रीय तैयार मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम लगभग पूरे भारत में चल रहा है। समन्वित बाल विकास योजना का विस्तार भी चरणबद्ध ढंग से हो रहा है। 11 से 18 वर्ष तक की उम्र की लड़कियों के पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी विकास के लिए सरकार ने किशोरी शक्ति विकास योजना को हर जगह लागू कर दिया है। एक अरसे से श्रम आंदोलन के तहत सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कार्यक्रम लागू करने की मांग की जाती रही जिसे सरकार ने 2005 के मध्य में लागू कर दिया। हालांकि इस योजना में काफी भ्रष्टाचार की बात उठती है फिर भी यह योजना प्रभावकारी साबित हुई है। सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अंत्योदय अन्य योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है।
राज्यों के अंतरगत लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत पहचान किए गए गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों में से, अत्यंत ही गरीब परिवारों की पहचान करने का कार्य अंत्योदय योजना के तहत किया गया है। इन परिवारों को गेहूं और चावल दिया जाता है। सामाजिक सुरक्षा के तहत सरकार ने राष्ट्रीय आवास नीति 1992 संसद में प्रस्तुत की। अगस्त 1994 में संसद ने इसका अनुमोदन कर दिया। राष्ट्रीय आवास नीति का प्रमुख लक्ष्य आवासहीन व्यक्तियों और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को आवास उपलब्ध कराना है। निश्चित रुप से सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से सामाजिक सुरक्षा मजबूत हुई है। बेहतर होगा कि सरकार सामाजिक सुरक्षा का दायरा का विस्तार करे जिससे सर्वाधिक नागरिकों का कल्याण हो।
अरविंद जयतिलक: (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये उनके अपने विचार हैं।)