Logo
Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म-शास्त्रों के अनुसार, पितरों का पितृलोक चंद्रमा के उर्ध्वभाग में होता है। वहीं, दूसरी तरफ अग्निहोत्र कर्म करने से आकाश मंडल के सभी पक्षियों की तृप्ति होती है। पक्षियों के लोक को भी पितृलोक के नाम से जाना गया है।

Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म-शास्त्रों के अनुसार, पितरों का पितृलोक चंद्रमा के उर्ध्वभाग में होता है। वहीं, दूसरी तरफ अग्निहोत्र कर्म करने से आकाश मंडल के सभी पक्षियों की तृप्ति होती है। पक्षियों के लोक को भी पितृलोक के नाम से जाना गया है। बताया जाता है कि, कुछ पितर जल के देवता वरुणदेव के यहां आश्रय ग्रहण करते है। इसलिए पितरों की स्थिति जल में भी बताई गई है। यहां हम आज जानेंगे 3 वृक्ष के बारे में, जिन्हें पितरों के समान माना गया है। 

पितरों के समान होते है ये 3 वृक्ष
(Pitro Ke Saman Hote Hai Ye 3 Ped) 

पीपल का वृक्ष : हिंदू धर्म शास्त्रों में पीपल के पेड़ को बेहद पवित्र स्थान दिया गया है। माना गया है कि, पीपल के वृक्ष में भगवान श्री हरि नारायण का निवास होता है और वृक्ष रूप में वहीं पितृदेव है। इसलिए पितृ पक्ष में पीपल के वृक्ष की उपासना करने और इसे लगाना शुभ माना गया है। 
 
बरगद का वृक्ष : हिंदू धर्म शास्त्रों में बरगद के वृक्ष को काफी शुभ और पवित्र माना गया है। माना गया है कि, बरगद के पेड़ में साक्षात भगवान शिव का निवास होता हैं। यदि आपको लगता है कि, आपके पितरों की मुक्ति नहीं हुई है तो आपको बरगद के वृक्ष नीचे बैठकर शिव जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। 

बेल का वृक्ष : हिंदू धर्म शास्त्रों में बेल का वृक्ष काफी पवित्र और पूज्यनीय होता है। यह भगवान शिवशंकर को अतिप्रिय होता है। कहा जाता है कि, यदि पितृ पक्ष के दौरान भोलेनाथ का प्रिय बेल वृक्ष लगाया जाए तो पितृ आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है। अमावस्या पर शंकर जी को बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करें। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

5379487