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अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है और इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। सनातन धर्म में अन्नपूर्णा जयंती के दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही है। मान्यता है कि ऐसे कार्य इस दिन करने से माता अन्नपूर्णा नाराज होती है और घर का वैभव और अन्न भण्डार खाली हो सकता है।

(कीर्ति राजपूत)

Annapurna Jayanti 2023 : मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को ‘अन्नपूर्णा जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में एक बार जब पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गयी थी, तब माँ पार्वती (गौरी) ने अन्न की देवी, ‘माँ अन्नपूर्णा’ के रूप में अवतरित हो कर पृथ्वी लोक पर अन्न उपलब्ध करा कर समस्त मानव जाति की रक्षा की थी। जिस दिन मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई, उस दिन मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ‘अन्नपूर्णा जयंती’ मनाई जाती है। इस दिन ‘त्रिपुर भैरवी जयंती’ भी मनाई जाती है। माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी हैं। यह माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे, का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और अन्नपूर्णा देवी की कृपा सदा बनी रहती है। इस बार अन्नपूर्णा जयंती 26 दिसंबर 2023 को मनाई जा रही है, इस दिन क्या करें और क्या ना करें जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से।

अन्नपूर्णा जयंती के दिन क्या करें
अन्नपूर्णा जयंती के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान करना उत्तम होता है। उसके बाद साफ वस्त्र धारण करके गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। चूल्हे या गैस पर कुमकुम, हल्दी, चावल और फूल अर्पित करना चाहि। साथ ही धूप जलाना चाहिए, इसके बाद भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए। गरीब असहाय लोगों को इस दिन भोजन कराने से माता अन्नपूर्णा प्रसन्न होतीं हैं।

-अन्नपूर्णा जयंती के दिन क्या ना करें?
अन्नपूर्णा जयंती माता अन्नपूर्णा के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। माता अन्नपूर्णा को धन धान्य की देवी माना गया है। इसलिए इस दिन अपने घर की रसोई को बिलकुल भी गंदा नहीं रखना चाहिए। क्योंकि माता अन्नपूर्णा का सीधा सम्बन्ध घर की रसोई से होता है। इसके अलावा इस दिन तामसिक भोजन मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, न ही घर की रसोई में इसे बनाना चाहिए। इस दिन भोजन करते समय अन्न का बिलकुल अनादर न करें। अन्नपूर्णा जयंती के दिन हो सके तो नमक का सेवन भी नहीं करना चाहिए। अन्नपूर्णा जयंती के दिन संध्याकाल में भोजन करने के बाद जूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए।

-अन्नपूर्णा जयंती का महत्व
सनातन धर्म में अन्नपूर्णा जयंती का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में माता अन्नपूर्णा को अन्न, धन और सुख शांति की देवी माना गया है। माना जाता है कि जिस घर में माता अन्नपूर्णा की कृपा रहती है, उस घर के अन्न के भंडार सदैव भरे ही रहते हैं। तो यदि आप भी चाहते हैं कि आपके घर में सुख शान्ति बनी रहे, तो प्रतिदिन माता अन्नपूर्णा की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करना उत्तम होगा। ऐसा करने से जीवन में आर्थिक तंगी से तो निजात मिलेगी ही, साथ ही घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी।

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