Mahakumbh 2025: तीर्थराज प्रयाग में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि प्रारंभ करने के पहले सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने प्रयागराज में यज्ञ किया था, जो आजकल दारागंज के नाम से प्रसिद्ध है। इस कारण से प्रयागराज को तीर्थ का राजा कहा जाता है। यह जानकारी मां शारदा ज्योतिष पीठ के ज्योतिष आचार्य डॉक्टर मनीष गौतम दे रहे हैं।

प्रयागराज में स्नान करने से सांसारिक सुख और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। कल्पवासी पूरे महीने भर कल्पवास करते हैं। इस दौरान पूरा शहर ही संगम पर बस जाता है। कुंभ में तो करोड़ों लोग आस्था की डुबकी माता गंगा में लगाते हैं, जिससे उनको दुख से छुटकारा प्राप्त हो जाता है।

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महाकुंभ का प्रारंभ
मां शारदा ज्योतिष पीठ के ज्योतिष आचार्य डॉक्टर मनीष गौतम ने बताया कि महाकुंभ का प्रारंभ समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कलश एवं 12 दिन तक चले संघर्ष के बाद भगवान विष्णु के कहने पर कलश को करूं महाराज ले लिए। असुरों ने जब करूं महाराज से अमृत रस लेने का प्रयास किया, तब धरती के चार स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदे गिर गई, इसके बाद वहां पर महाकुंभ लगने लगा।

इन 4 जगहों पर गिरी थी बूंदें
अमृत की बूंदें उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक पर गिरी। जहां पर हर 12 वर्ष के अंतराल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। तीर्थराज प्रयाग में सबसे दिव्य और भव्य महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। यहां पर देश-विदेश से करोड़ों लोग आते हैं और मां गंगा में स्नान का पूर्ण लाभ अर्जित करते हैं। कई करोड़ लोग धर्म एवं अध्यात्म से एक साथ जुड़ते हैं। यह अद्भुत नजारा सिर्फ संगम नगरी प्रयागराज में ही देखने को मिलता है। महाकुंभ में महीने भर श्रध्दालु रहकर अपने एवं विश्व के कल्याण की कामना करते हैं।