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Masik Shivratri Puja Vidhi and Shubh Yog: सनातन धर्म में भाद्रपद महीने की मासिक शिवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा करने का विधान रहा है। इस दिन व्रत रखने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है, इस तरह की मान्यता है।

Masik Shivratri Puja Vidhi and Shubh Yog: सनातन धर्म में भाद्रपद महीने की मासिक शिवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा करने का विधान रहा है। इस दिन व्रत रखने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है, इस तरह की मान्यता है। वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 1 सितंबर 2024 रविवार को आज मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत के समय की शुरुआत सुबह 3 बजकर 40 मिनट पर हो चुकी है। वहीं इसका समापन 2 सितंबर 2024 सोमवार को सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर होगा। 

मासिक शिवरात्रि शुभ योग और नक्षत्र
(Masik Shivratri Shubh Yog aur Nakshatra)

भाद्रपद महीने की मासिक शिवरात्रि के दिन 2 शुभ योग निर्मित हो रहे है। सुबह से लेकर शाम 5 बजकर 50 मिनट तक परिघ योग और फिर शिव योग रहेगा।  1 सितंबर को सुबह से लेकर रात 9 बजकर 49 मिनट तक अश्लेषा नक्षत्र और उसके बाद मघा नक्षत्र की शुरुआत होगी। आज भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि पूजा के लिए निशिता मुहूर्त रहेगा,जिसका समय 11 बजकर 58 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक होगा। 

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
(Masik Shivratri Puja Vidhi)

मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके पश्चात चौकी बिछाकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब चौकी पर शिवलिंग स्थापित करें। इसके बाद शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवाकर बेल पत्र अर्पित करें। शिवलिंग को फूलों और चंदन से सजाएं और साथ ही दीपक और धूप प्रज्ज्वलित करें। भोलेनाथ को फल और मिठाई का भोग अर्पित करें। अब ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘ॐ महादेवाय नमः’ मंत्र का जाप करें और शिव महापुराण की कथा सुनें। 

मासिक शिवरात्रि का महत्व
(Masik Shivratri Mahatav)

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मासिक शिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान प्राप्ति और रोगों से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत करना चाहिए। इस व्रत को करने से क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान जैसी भावनाएं नियंत्रित रहती है। अविवाहित लड़कियां इस व्रत को मनचाहा वर प्राप्ति के लिए करती है। यही नहीं वे जातक, जिनके विवाह में दिक्कतें आ रही है, वो भी इस व्रत को कर सकते है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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