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पौष पूर्णिमा के दिन व्रत, गंगा स्नान एवं दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मोक्ष भी मिलता है। 

Mokshadayani Paushi Purnima: देवीधाम मैहर के ज्योतिष आचार्य पं. मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि पौष माह में शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पौष पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। इस साल यह तिथि 25 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन व्रत, गंगा स्नान एवं दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान और व्रत के अलावा रात्रि के समय में चंद्र देव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और साधक को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में इस पूर्णिमा का व्रत विधि विधान से करने का अलग ही महत्व है ।

पौष पूर्णिमा की तिथि
हिंदू पंचांग के के अनुसार 24 जनवरी 2024 की रात 9 बजकर 30 मिनट से पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है जो अगले दिन यानी 25 जनवरी 2024 को रात 10 बजकर 39 मिनट तक रहेगी । ऐसे में इस साल 25 जनवरी 2024 को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी।

सर्वार्थ सिद्ध योग एवं गुरु पुष्प योग में मनेगी पौष पूर्णिमा
पौष पूर्णिमा के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक है। साथ ही इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग सूर्योदय से रात अंत रहेगा, गुरु पुष्य योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस शुभ योग में पुण्य और धार्मिक काम करने से बहुत ज्यादा अच्छा फल प्राप्त होता है।

चंद्रोदय का समय  
25 जनवरी को चंद्रोदय शाम करीब 5 बजकर 29 पर होगा। इसके बाद आप चंद्रमा को अर्घ्य इसी समय दे सकते हैं। वहीं पूर्णिमा तिथि पर रात्रि के समय मां लक्ष्मी की पूजा करें। इससे घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी और सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

व्रत की विधि
पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें।
आप घर में भी गंगाजल को पानी में मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
स्नान करने के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए जल चढ़ाएं।
अब भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
फिर ब्राह्मणों और गरीबों में दान-दक्षिणा दें।

पौष पूर्णिमा के दिन तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि दान केवल जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना चाहिए।

पौष पूर्णिमा तिथि का महत्व
ज्योतिष में चंद्रमा को मन एवं द्रव्य पदार्थों का कारक माना जाता है। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने संपूर्ण रूप में होता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के मन मस्तिष्क में पड़ता है। 

आज से माघ स्नान प्रारंभ
पौष पूर्णिमा के बाद आज से ही माघ माह के साथ ही माघ स्नान की शुरुआत हो जाती है और इस दिन से ही प्रयाग राज में संगम तट पर माघ मेला शुरू हो जाता है, जिसमें देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु संगम तट पर डुबकी लगाते हैं ।

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