Neem Karoli Baba Chamatkar: नीम करोली बाबा की पहचान महान संत और आध्यात्मिक गुरु के रूप में है। 20वीं सदी में उन्होंने अपने गुरु वचनों से कई लोगों को मार्गदर्शन किया और मरणोपरांत आज भी उनके विचार लोगों के अंधियारे जीवन में प्रकाश फैला रहे है। कलयुग में हनुमान जी के विशेष कृपा पात्र माने गए नीम करोली बाबा को लोग उन्ही का अंश अवतार भी कहते है। उनके अनुयायी बताते है कि, बाबा को कई तरह की सिद्धियां भी प्राप्त थी। 

प्रचलित कथाओं के मुताबिक, बाबा नीम करोली ने अपने जीवनकाल के दौरान कई ऐसे चमत्कार किये, जिनकी गुत्थी को आज तक भी कोई नहीं सुलझा सका है। एक ऐसा ही चमत्कार था साल 1943 का, जब बाबा ने युद्ध में एक सैनिक की जान बचाई थी। चलिए जानते है उस कथा के बारे में विस्तार से- 

जब नीम करोली बाबा ने बचाई युद्ध में एक सैनिक की जान
(Neem Karoli Baba saved a soldier life in the war)

रिचर्ड एल्बर्ट अपनी किताब में लिखते है कि, सन 1943 में बाबा नीम करोली फतेहगढ़ में एक बुजुर्ग दंपत्ति के घर रुके थे। उस दंपत्ति का बेटा फ़ौज में था, इसलिए वो हमेशा चिंता में रहा करते थे। बुजुर्ग दंपति ने बाबा करोली को रात्रि विश्राम के लिए एक कंबल दिया और चारपाई दी। बाबा भी उसी को लेकर सो गए लेकिन रात्रिभर कराहते रहे। बाबा की यह स्थिति देखकर बुजुर्ग दंपति को अपनी निर्धनता और ठीक से सत्कार न कर पाने का अफ़सोस हो रहा है। 

दंपति की यह स्थिति देखकर बाबा नीम करोली ने सुबह उठकर कंबल की गठरी बनाई और उसे नदी में प्रवाहित करने का आदेश दिया। बाबा ने दंपति से मना किया कि, वे इस कंबल को खोलकर न देखें। साथ ही कहा कि, यह करने के बाद उनका बेटा महीनेभर में सुरक्षित घर लौट आएगा। 

बुजुर्ग दंपति बाबा के कथन अनुसार, जब उस कंबल को ले जाने लगे तो उन्हें वह भारी प्रतीत हुआ और उसमें से लोहे के टकराने की आवाज आ रही थी। लेकिन उन्होंने उसे नजरअंदाज किया और सीधा उसे जाकर नदी में प्रवाहित कर दिया। इसके ठीक एक महीने बाद उनका बेटा लड़ाई से लौट आया। बेटे ने बताया कि, वह खुद और उसके साथियों को दुश्मन की टुकड़ी ने घेर लिया था, जिसमें सभी मारे गए और वह चमत्कारिक तरह से बच कर लौट आया।