कपिल देव श्रीवास्तव, भोपाल: हिंदू धर्म में ग्रह-नक्षत्रों और ग्रहों का युति सहित सिद्धि योग का महत्व माना गया है। इस साल 2025 का पहला सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग मंगलवार, 7 जनवरी को है। इस साल का पहला रवि पुष्य नक्षत्र 9 मार्च को, तो वहीं 24 मार्च को गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग रहेगा। जनवरी से दिसंबर तक 114 सर्वार्थ सिद्धि, 27 अमृत सिद्धि, 2 गुरु पुष्य और 2 रवि पुष्य नक्षत्र और 27 त्रिपुष्कर योग रहेंगे। यानी कुल मिलाकर 365 दिनों में से 172 दिन शुभ योग बनेगा। मां चामुंडा दरबार के पुजारी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि खरीदारी व शुभ कामों के लिए विशेष शुभ माना जाने वाला रवि पुष्य नक्षत्र इस साल दो बार रहेगा। इसी तरह गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग भी दो बार बनेगा। जबकि 114 दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और 38 दिन अमृत सिद्धि योग का संयोग रहेगा।
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7 मार्च से शुरू होंगे होलाष्टक
इन दिनों मलमास के दौरान शुभ कार्यों पर विराम रहने के साथ ही शहर के अनेक जगहों पर कथा का श्रवण किया जा रहा है। साथ ही गंगा स्नान करते हुए पौष मास में दान पुण्य भी किए जा रहे हैं। 2025 में अब 16 जनवरी से विवाह सहित शुभ कार्यों की शुरूआत होगी। जो 7 मार्च होलाष्टक से पहले तक रहेगी। 15 मार्च से 14 अप्रैल के बीच में मीन संक्रांति मलमास रहेगा। फिर सावों की शुरूआत 15 अप्रैल से होगी । जो 4 जून तक रहेगी। 11 जून से 4 जुलाई तक गुरु का तारा अस्त रहेगा। 6 जुलाई चातुर्मास भी शुरू हो जाएंगे। इसके पश्चात सीधे 1 नवंबर तुलसी एकादशी से देव उठने के बाद विवाह मुहूर्त की स्थितियां बनेंगी।
27 में नक्षत्रों में से आठवां नक्षत्र होता है पुष्य
पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि आकाश मंडल में 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें पुष्य नक्षत्र को सर्वाधिक शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र को तिष्य और आमरेज्य भी कहते हैं। इन 27 में आठवां नक्षत्र पुष्य होता है। इस नक्षत्र का सर्वाधिक महत्व रविवार और गुरुवार को होता है। पुष्य नक्षत्र शनि, गुरु और चंद्र का प्रभाव रहने से यह खरीदारी और नए कार्य की शुरूआत करने के लिए काफी मंगलकारी है। गुरु-पुष्य में छोटे बच्चों को विद्यारंभ संस्कार करवाना अच्छा माना गया है। इस दिन बहीखातों की पूजा करना और लेखा-जोखा का काम भी शुरू किया जा सकता है।