Plight of minorities: पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया ने एक हालिया कार्यक्रम में खुलासा किया कि उन्हें पाकिस्तान में अपने क्रिकेट करियर के दौरान भेदभाव का सामना करना पड़ा। अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर आयोजित एक सभा में बोलते हुए, कनेरिया ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान में अन्य क्रिकेटरों की तरह सम्मान और पूरे मौके नहीं मिले।
दानिश कनेरिया, जो हिंदू धर्म का पालन करते हैं, ने यह बयान अमेरिकी कांग्रेस की ब्रीफिंग ‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा’ के दौरान दिया। उन्होंने कहा, 'आज, हम सब यहां इकट्ठे हुए हैं और अपने साथ हुए भेदभाव के बारे में चर्चा की। मैंने भी पाकिस्तान में भेदभाव का सामना किया और मेरा करियर तबाह कर दिया गया। मुझे पाकिस्तान में समान सम्मान और मूल्य नहीं मिले।'
पाकिस्तान में मेरा करियर बर्बाद हुआ: कनेरिया
उन्होंने आगे कहा,'यह कार्यक्रम इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित किया गया था कि पाकिस्तान में लोग कैसे पीड़ित होते हैं और वहां किस तरह की समस्याएं मौजूद हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य अमेरिका सहित पूरी दुनिया को इस बारे में बताना और इस पर कार्रवाई करने की अपील करना था।'
कनेरिया ने पाकिस्तान के लिए 61 टेस्ट मैच खेले और वे पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में शामिल होने वाले दूसरे हिंदू खिलाड़ी थे। उनसे पहले उनके चचेरे भाई अनिल दलपत पाकिस्तानी टीम में विकेटकीपर के रूप में खेल चुके थे।
स्पॉट फिक्सिंग के आरोप और आजीवन प्रतिबंध
कनेरिया का करियर विवादों से घिरा रहा। उन पर इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) द्वारा स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने का आरोप लगाया गया, जिसके चलते उन्हें आजीवन प्रतिबंध का सामना करना पड़ा। उन्होंने इस प्रतिबंध के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन जुलाई 2013 में उनकी अपील खारिज कर दी गई।
कनेरिया ने अपने करियर में कुल 18 वनडे मैच खेले और 15 विकेट हासिल किए। 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 3/31 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। टेस्ट क्रिकेट में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 7/77 था, जबकि एक मैच में उनका सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा 12/94 रहा। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 15 बार पांच विकेट लेने का कारनामा किया। इसके अलावा, कनेरिया ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 206 मैच, लिस्ट-ए क्रिकेट में 167 और टी20 क्रिकेट में 65 मैच खेले।
कनेरिया का यह बयान पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले भेदभाव को उजागर करता है। उनका करियर जितना शानदार था, उतना ही विवादों से भी भरा रहा। भले ही क्रिकेट के मैदान पर उन्होंने कई यादगार प्रदर्शन किए, लेकिन उनका मानना है कि उन्हें उनके धर्म के कारण उचित सम्मान और मौके नहीं मिले।