नई दिल्ली। आईसीसी मेंस टी20 वर्ल्ड कप 2024 में भारत की अफगानिस्तान पर जीत के बाद एक बात साफ हो गई है कि रोहित शर्मा और विराट कोहली टीम इंडिया और उसके विश्व कप जीतने की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत ने भले ही 47 रन से जीत दर्ज की लेकिन रोहित-विराट क्या कर रहे शायद उन्हें पता ही नहीं। अगर सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या के बीच साझेदारी नहीं हुई होती तो 2007 की चैंपियन टीम के लिए नतीजे कुछ और भी हो सकता था।
रोहित और कोहली ने जिस तरह से बल्लेबाजी की...पहले तो लगा कि पिच बल्लेबाजों के लिए अनुकूल नहीं है। वे गेंद को बिल्कुल भी टाइम नहीं कर पाए। बाउंड्री तो भूल ही जाइए, एक-एक रन लेना भी उपलब्धि की तरह लग रहा था। रोहित के जाने के बाद जब ऋषभ पंत क्रीज पर आए और उन्होंने पहली ही गेंद पर आसानी से बाउंड्री लगा ली, तब ये साफ हो गया था कि पिच इतनी भी खराब नहीं थी। हमारे स्टार बल्लेबाज ही शायद इस पर खेल नहीं पा रहे थे।
रोहित की शुरुआत में गलती ज़्यादा थी। वह बड़े शॉट मारना चाहता थे लेकिन उनकी टाइमिंग पूरी तरह से गड़बड़ा गई थी। उन्होंने जरूरत से ज्यादा डॉट गेंद खेंली और उनका प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा। जब वो तीसरे ओवर में 8 रन के स्कोर पर आउट हुए, तब तक उन्होंने 13 गेंद खेली थी और उनके बल्ले से एक ही चौका निकला था। दूसरी ओर, साथी ओपनर कोहली ने सिर्फ 4 गेंद खेली थीं और 1 ही रन बनाया था।
कोहली-रोहित का अबतक प्रदर्शन फीका रहा
लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि कोहली ने खुद 24 गेंदें खेलीं और इतने ही रन बनाकर मैच के नाजुक मौके पर आउट हो गए थे। यह सुनने में फैंस को भले ही बुरा लगे लेकिन भारत की मैच में वापसी कोहली के आउट होने के बाद ही हुई। रोहित-विराट के आउट होने के बाद मैदान पर उतरे सभी बल्लेबाजों ने खुलकर खेलने की कोशिश और भारत को मुश्किल परिस्थिति से निकलने का मौका मिला।
कोहली से ओपनिंग कराना फायदे का सौदा नहीं
यह अब साफ हो गया है कि टीम प्रबंधन का कोहली के साथ पारी की शुरुआत करने का फैसला पूरी तरह से गलत था। 35 साल की उम्र में और टी20 प्रारूप में नंबर 3 पर इतने सफल वर्षों के बाद, कोहली इस टूर्नामेंट में बेबस नजर आए। यशस्वी जायसवाल के रूप में एक बेहतर विकल्प वर्तमान में बेंच पर बैठा हुआ है। इसके लिए बीसीसीआई को दोष देना चाहिए।
रोहित पहले से ही टीम के कप्तान थे, इसलिए उनका खेलना तो तय था। हालांकि कोहली को समायोजित करना पड़ा। उनकी स्थिति एक वफ़ादार, पुराने कर्मचारी की तरह है जिसने कंपनी को आगे बढ़ाने में मदद की थी। लेकिन अब जब वह ज़्यादा योगदान नहीं दे सकते, तो कोई नहीं जानता कि उनके साथ क्या किया जाए।
रोहित शर्मा इस वक्त कोहली से बेहतर स्थिति में हैं। कोहली से अच्छे स्ट्राइक रेट से बड़े स्कोर बनाने की उम्मीद है। दूसरी ओर, रोहित से उम्मीद की जाती है कि वह शुरुआत में कुछ छक्के लगाकर चीजों को आगे बढ़ाएं - जैसा कि उन्होंने 2023 विश्व कप में किया था। यह बहुत छोटी भूमिका है, लेकिन हाल ही में वह इस जिम्मेदारी को निभाने में भी संघर्ष कर रहे हैं।
अफगानिस्तान के खिलाफ भारत भाग्यशाली रहा
सूर्या और हार्दिक हर दिन टीम को नहीं बचा सकते। अफगानिस्तान के खिलाफ भारत भाग्यशाली रहा। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी अनुभवी टीमें 11वें ओवर में 90/4 पर सिमटने के बाद मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेतीं। इसलिए, टीम इंडिया को बहुत देर होने से पहले खुद को दुरुस्त करना होगा। जायसवाल को किसी तरह टीम में होना चाहिए। वह निश्चित रूप से ओपनर नहीं हो सकते। अगर उन्हें खेलना है, तो उन्हें अपने पुराने नंबर 3 स्थान पर वापस आना होगा।
शिवम की बतौर बैटर जगह नहीं बनती
रवींद्र जडेजा और शिवम दुबे के खेल की भी समीक्षा होनी चाहिए। जडेजा पिछले कुछ समय से खराब फॉर्म में हैं और दुबे अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। उनके बहुत ज़्यादा ओवर गेंदबाजी करने की संभावना नहीं है, जिसका मतलब है कि बल्लेबाज़ के तौर पर टीम में उनकी जगह जायज़ नहीं हो सकती। संजू सैमसन बेहतर विकल्प हो सकते हैं। रिंकू सिंह का 15 सदस्यीय टीम में न होना कई प्रशंसकों को परेशान कर रहा है।
कप नहीं जीते तो रोहित-विराट पर गिरेगी गाज?
भारत के लिए,यह सेमीफाइनल या फाइनल में पहुंचने की बात नहीं है। यह टूर्नामेंट जीतने के बारे में है। इससे कम कुछ भी नहीं चलेगा। अगर वे फिर से नहीं जीतते हैं, तो पूरे क्रिकेट ढांचे और संस्कृति को दोष दिया जाएगा, और यह सही भी है... कोहली और रोहित को इसका ज़्यादातर खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा।