RR vs SRH: आईपीएल 2024 में गुरुवार को सनराइजर्स हैदराबाद की टक्कर राजस्थान रॉयल्स से हुई थी। इस मैच को हैदराबाद ने एक रन से जीता। आखिर गेंद पर राजस्थान को 2 रन की दरकार थी। स्ट्राइक पर रोवमैन पॉवेल थे और भुवनेश्वर कुमार की गेंद सीधे उनके पैड पर लगी और हैदराबाद के फील़्डर्स ने LBW की जोरदार अपील की। अंपायर अनिल चौधरी ने उंगली उठाने में देरी नहीं की। इस तरह राजस्थान 1 रन से मैच हार गई। 

अंपायर के फैसले के खिलाफ रोवमैन पॉवेल ने रिव्यू लिया। लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि टीवी रीप्ले और बॉल ट्रेकिंग में साफ हुआ कि गेंद उनके पिछले पैर पर लगी थी। गेंद मिडिल और लेग स्टम्प की लाइन पर थी। ऐसे में पॉवेल का DRS बेकार गया। लेकिन अगर पॉवेल डिसीजन रिव्यू सिस्टम में नॉट आउट भी होते तो भी राजस्थान रॉयल्स को इसका फायदा नहीं होता। फिर भी उनकी टीम मैच 1 रन से गंवा देती। इसके पीछे है डीआरएस से जुड़ा नियम। इसे बदलने की लंबे वक्त से मांग हो रही। 

राजस्थान की हार पर DRS पर बवाल 
डिसीजन रिव्यू सिस्टम का एक क्लॉज आपको चौंका सकता है। अभी जब फील्ड अंपायर बैटर को LBW आउट देते हैं तो उस पर लिया गया कोई भी रन काउंट नहीं होता है। अगर गेंद बैटर के पैड पर लगकर चौके के लिए भी चली गई और फील्ड अंपायर ने बैटर को आउट दे दिया। फिर अगर बैटर बच भी जाता है तो उसे रन नहीं मिलेगा। यहां तक कि अगर गेंद बैट से भी लगी होती तब भी रन नहीं मिलता है। क्योंकि अंपायर के फैसला देते ही गेंद को डेड मान लिय़ा जाता है। यानी पॉवेल अगर DRS में बच भी जाते तो भी राजस्थान को मैच गंवाना ही पड़ता। 

क्या कहता है DRS?
इसी वजह से एक्सपर्ट्स सवाल उठा रहे हैं कि अगर ऑन फील़्ड अंपायर का का फैसला गलत होता और उस फैसले को पलटना पड़ता तो राजस्थान का क्या होता। इस रूल को काफी वक्त से बदलने की मांग हो रही है। आकाश चोपड़ा ने भी इसे बदलने की कई बार मांग उठाई है। डेल स्टेन ने भी बेसबॉल का तरीका अपनाने की सलाह दी। उन्होंने लिखा हमें मूल रूप से बेसबॉल शैली में खेलने की ज़रूरत है। जब तक खेल रुक न जाए तब तक गेंद को डेड न माना जाए। यानी अगर आप बैटिंग टीम से हैं तो रन दौड़ें और फील्डिंग टीम गेंद को पकड़ने की कोशिश करे। इसके बाद एलबीडब्ल्यू या जो भी जांचना है, उसे जांचा जाए और अगर बैटर LBW है तो उसे आउट करार दे दिया जाए और अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर बैटर के खाते में रन जोड़ दिए जाएं।