Who is Rubina Francis: पेरिस पैरालंपिक के तीसरे दिन शूटिंग में भारत को एक और मेडल मिला। मध्य प्रदेश की रुबीना फ्रांसिस ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में कांस्य पदक जीता। रुबीना फ्रांसिस ने फाइनल मुकाबले में 211.1 अंक हासिल किए। पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के पदकों की संख्या अब पांच हो गई है। भारत ने अब तक एक गोल्ड, एक सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं।
कौन हैं रूबीना फ्रांसिस?
रूबीना फ्रांसिस जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ था। जन्म से ही रूबीना दाहिने पैर से विकलांग है। रूबीना के पिता साइमन फ्रांसिस पेशे से एक मैकेनिक हैं। शुरुआत से परिवार की आर्थिक हालत खराब थी। इसकी वजह से रुबीना को शारीरिक दिक्कतों के साथ फाइनेंशियल क्राइसिस भी झेलनी पड़ी।
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2015 में शुरू किया था शूटिंग कॅरियर
रूबीना ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि राजधानी भोपाल जाने से पहले उन्होंने जबलपुर की एक अकादमी में अपनी शूटिंग यात्रा शुरू की। उन्होंने आगे बताया कि स्कूल में पढ़ाई के अलावा कुछ और करना चाहती थी। गन फॉर ग्लोरी एकेडमी 2015 में मेरे स्कूल में शूटिंग का विज्ञापन करने आई थी, तभी मैंने अपने पिता से कहा कि मैं यह करना चाहता हूं। इसलिए, मैंने अपना पंजीकरण कराया और मेरा चयन हो गया। इस तरह इस खेल में मेरी रुचि विकसित हुई मेरे माता-पिता ने मेरा समर्थन किया और इस तरह मैंने शूटिंग शुरू की।
एकेडमी ले जाने के लिए पेट्रोल के पैसे नहीं थे
रूबीना के पिता ने कहा कि शुरुआत में, हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि मेरे पास उसे जबलपुर में अकादमी में ले जाने के लिए पेट्रोल का खर्च उठाने तक के पैसे नहीं थे। मैं उसके दौरान घंटों इंतजार करता था। अभ्यास सत्र क्योंकि मैं अकादमी में दो बार आने-जाने का खर्च वहन नहीं कर सकता था, बाद में उनकी माँ ने बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक निजी अस्पताल में काम करना शुरू कर दिया।
नगर निगम ने तोड़ी पिता की दुकान
रुबीना ने बताया जबलपुर के ग्वारीघाट रोड पर पिता साइमन की बाइक रिपेयरिंग की दुकान नगर निगम दस्ते द्वारा तोड़ दी गई थी। परिवार चलाने का एकमात्र साधन वही दुकान थी। ऐसे में एक समय परिवार को खाने की दिक्कतों भी हुईं। भूख का सामना करना पड़ा।
एमपी स्टेट शूटिंग एकेडमी से शुरू हुआ नया सफर
इसका असर रुबीना की ट्रेनिंग पर पड़ा। उनके एकेडमी का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया। फिर एमपी स्टेट शूटिंग एकेडमी भोपाल में एडमिशन मिला और बैंकॉक तक अपने खेल का जौहर दिखाया। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में 6 गोल्ड और एक सिल्वर मेडल हासिल कर चुकी हैं। कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी शामिल हुईं। दुबई में इंटरनेशनल इवेंट में शामिल होने वाली सबसे कम उम्र की शूटर थीं।