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झांकी में केंद्रीय विषय "आदिम जन-संसद" के अंतर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है।

रायपुर। गणतंत्र-दिवस को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार देश की राजधानी नई दिल्ली के कर्तव्यपथ पर होने वाली परेड छत्तीसगढ़ के लिए काफी खास माना जा रहा है। "छत्तीसगढ़ की आदिम जनसंसद की झांकी" कर्तव्यपथ पर होने वाली परेड में शामिल होगी। 

कर्तव्यपथ पर प्रस्तुत झांकी में जगदलपुर का मुरिया दरबार और बड़े डोंगर का लिमऊ राजा होंगे। केंद्रीय विषय 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी चयनित की है। जिसमें अनूठे विषय और डिजाइन ने विशेषज्ञों को रिझाया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने झांकी निर्माताओं को इस सफलता पर बधाई दी है और इसे प्रदेश के लिए बड़ा अवसर बताया है। 

थीम है 'भारत लोकतंत्र की जननी' 

छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम 'भारत लोकतंत्र की जननी' पर आधारित है। यह झांकी जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती है। जो आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के बस्तर संभाग में जीवंत और प्रचलित है। इस झांकी में केंद्रीय विषय "आदिम जन-संसद" के अंतर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है।

झांकी में मुरिया दरबार भी शामिल

झांकी में मुरिया दरबार विश्व-प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परंपरा है, जो 600 सालों से चली आ रही है। इस परंपरा लके उद्गम के सूत्र कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलते हैं। इस स्थान से जुड़ी लोककथा के अनुसार आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तब आदिम-समाज एक नीबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में ही निर्णय ले लिया करता था।

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