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रायपुर में कुछ साल पहले पीडीएस चावल से भरी गाड़ी को पकड़ा गया था, जिसे बेचने के लिए ले जाया जा रहा था।

रायपुर। राजधानी रायपुर के अमलीडीह में संचालित एक उचित मूल्य की दुकान में चावल खरीदी-बिक्री का खेल चल रहा है। इस दुकान की महिला संचालक हितग्राहियों को चावल देने के बाद उनसे ही औने-पौने दाम पर चावल खरीद रही है। खरीदी-बिक्री के चल रहे इस खेल का एक विडियो सूत्र के माध्यम से हरिभूमि के हाथ लगा है।

इस विडियो को लेकर जब दुकान संचालिका से पूछा, तो उसने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इधर खाद्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि राशन दुकानों में सिर्फ हितग्राहियों को खाद्यान्न वितरण किया जाता है। अगर हितग्राही से चावल खरीदा गया है, तो इसकी जांच कराकर दुकान संचालिका के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।

विडियो में स्पष्ट दिख रहा हितग्राही को राशन कार्ड में पैसे रखकर लौटा रही कर्मचारी

यह विडियो अमलीडीह में शासकीय स्कूल के सामने गार्डन के बगल वाले रोड में स्थित राशन दुकान आईडी- 441001115 का है। इस विडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि दुकान में बैठी महिला कर्मचारी एक महिला हितग्राही से रजिस्टर में चावल लेने की एंट्री कराने के बाद उसके कार्ड में बिक्री की रकम रखकर लौटा रही है। इस विडियो में दुकान की संचालिका भी दिखाई दे रही है, जो कर्मचारी के बगल में बैठी हुई है। इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि संचालिका के निर्देश पर ही दुकान में हितग्राहियों से चावल खरीदी का खेल चल रहा है।

पीडीएस चावल की कालाबाजारी का कई बार हो चुका है भंडाफोड़

पीडीएस चावल की कालाबाजारी का राज्य के कई जिलों में पूर्व में कई बार भांडाफोड़ हो चुका है। रायपुर में कुछ साल पहले पीडीएस चावल से भरी गाड़ी को पकड़ा गया था, जिसे बेचने के लिए ले जाया जा रहा था।

18 से 20 रुपए किलो की दर से खरीदा जा रहा चावल

सूत्र ने बताया कि,  राशन दुकान में हितग्राही से 18 से 20 रुपए प्रति किलो की दर से चावल खरीदा जाता है। अमलीडीह राशन दुकान में भी 18 रुपए किलो की दर से हितग्राही से चावल खरीदा गया था। सूत्र यह भी बताते हैं कि इस दुकान के अलावा भी कई दुकानों में इस तरह वितरण चावल की खरीदी का खेल चल रहा है।

30 से 35 रुपए किलो तक बाजार में खपाया जा रहा

सूत्र के अनुसार,  हितग्राहियों से खरीदा गया पीडीएस चावल बाजार में 30 से 35 रुपए किलो तक खपाया जाता है। सूत्र से यह भी जानकारी मिली है कि हितग्राहियों से खरीदा गया ज्यादातर चावल राइस और पोहा मिलरों को बेचा जा रहा है। हालांकि यह कारोबार चोरी छिपे किया जाता है, जिसके कारण खाद्य विभाग को भी इसकी भनक नहीं लग पाती है।

 

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