कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड में स्थित तुरतुरिया मेला हर वर्ष पौष पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है। यह मेला संतान प्राप्ति की कामना के लिए प्रसिद्ध है, जहां प्रदेश भर से लाखों श्रद्धालु माता गढ़ के पहाड़ी मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि, इस स्थान पर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था और यह लव-कुश की जन्मस्थली भी मानी जाती है। यहां बहने वाली बलभद्र नदी के ऊपर मातागढ़ की पहाड़ी में स्थित मंदिर में लोग पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।
बलौदाबाजार जिले में स्थित तुरतुरिया में आज से तीन दिवसीय मेला की शुरुआत हो गई। प्रदेश भर से श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना लेकर पहुंचते है. @BalodaBazarDist #Chhattisgarh #fair pic.twitter.com/Jmu5ylrPwU
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) January 13, 2025
तुरतुरिया मेले में श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और कई लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर पशु बलि की प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हैं। इस स्थान का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होने के कारण इसे राज्य सरकार ने प्राथमिक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया है। जिला प्रशासन की ओर से मेले में सुरक्षा और सुविधाओं के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
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माता रानी के दर्शन कर पूरी होती है मन्नत
बलौदाबाजार के जिलाधीश दीपक सोनी ने मेले की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को पेयजल, वाहन पार्किंग और मोबाइल नेटवर्क की कनेक्टिविटी बेहतर करने के निर्देश दिए। यह मेला न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी संजोए हुए है। श्रद्धालु अपनी संतान प्राप्ति की कामना से यहां आते हैं और माता रानी के दर्शन कर अपनी मन्नतें पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। वर्षों पुरानी इस धार्मिक परंपरा के चलते तुरतुरिया मेला हर साल श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है।