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ऑनलाइन ठगी के मामले सुलझाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। राजधानी में साइबर ठगी की ढाई सौ के करीब शिकायतें पेंडिंग पड़ी हैं।

रायपुर। ऑनलाइन ठगी के नित-नए मामले सामने आ रहे हैं। इसे सुलझाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। राजधानी में साइबर ठगी की ढाई सौ के करीब शिकायतें पेंडिंग पड़ी हैं। पुलिस अफसरों के मुताबिक ज्यादातर ठगी की घटनाएं लालच में आने की वजह से होती हैं। इस तरह की ठगी से बचने पुलिस जनजागरूकता अभियान भी चलाती है। बावजूद इसके लोग ठगों के झांसे में आकर उनका शिकार बन रहे हैं।

सायबर ठगी के ये तरीके अपना रहे

सायबर सेल के अफसरों के मुताबिक देश में ऑनलाइन ठगी के अलग-अलग 32 प्रचलित तरीके जालसाज अपनाते हैं। इनमें से ज्यादातर तरीकों से छत्तीसगढ़ में भी जालसाज ठगी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। सायबर ठग ऑनलाइन तरीके से जो ठगी के ये तरीके अपनाते हैं।

फिशिंग - व्यक्तिगत जानकारी जुटाकर ठगी
हैकिंग - अकाउंट, मोबाइल, कंप्यूटर तथा लैपटॉप हैक कर ठगी
जॉब स्कैम - घर बैठे पार्ट टाइम काम दिलाने का झांसा
साइबर बुलिंग - लोगों को आपत्तिजनक वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उगाही
साइबर अटैकिंग - इंटनेट में बाधा पहुंचाकर वेबसाइट हैक करना
इसके अलावा ट्रांसमिटिंग वायरस, सायबर चोरी, वेब जैकिंग, सायबर अटेकिंग, सायबर फ्रॉड, सायबर टेरेरिज्म, आईपीआर वॉल्युशन, विजिंग, ई-मेल बंबिंग, बॉटनेट्स, आइडेंटिटी चोरी, डीडीओएस अटैक, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, मानहानि, सोशल इंजीनियरिंग फ्रॉड, ई-मेल स्पूफिंग आदि शामिल हैं।


चार राज्यों के जालसाज ठगी कर रहे

सायबर सेल के अफसरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में वर्तमान में झारखंड के अलावा हरियाणा, पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान के ठग गिरोह सक्रिय हैं, जो लोगों को अलग- अलग प्रकार से अपने झांसे में लेकर ठगी का शिकार बना रहे हैं।

सायबर सेल से थानों तक शिकायतों का अंबार

ऑनलाइन ठगी के शिकार लोगों को अपनी रकम होल्ड कराने थानों से लेकर सायबर सेल तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। बड़ी रकम की ठगी होने पर पुलिस एक्शन तो लेती है, लेकिन पीड़ितों को उनकी पूरी रकम मिलना असंभव है। इसकी वजह जालसाज भी समझ गए हैं कि जिन लोगों को उन्होंने ठगी का शिकार बनाया है, मामला पुलिस में या बैंक में पहुंचने पर रकम तत्काल होल्ड हो सकती है। इस वजह से ठग क्यूआर कोड भेजकर या फिर मोबाइल हैक कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। ऐसा करने पर ठगी की रकम डायरेक्ट ठग के अकाउंट में ट्रांसफर हो जाती है। शिकायत होने पर ठगी की रकम तत्काल दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर देते हैं।
 

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