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एक तरफ श्री राम जन्मभूमि के छोटे से जमीन के टुकड़े के लिए 500 सालों का विवाद, संघर्ष और बलिदान की गाथा है। वहीं दूसरी तरफ 80 एकड़ की जमीन निर्विवाद प्रभु राम के नाम पर दर्ज है। 

कुश अग्रवाल-पलारी। अयोध्या में छोटे से जमीन के टुकड़े के लिए 500 सालों तक दो पक्षों के बीच लड़ाई हुई। कितने ही रामभक्तों और कारसेवकों ने बलिदान दिया। इस लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार 22 जनवरी को रामलला अपनी जन्मभूमि अयोध्या में विराजेंगे। 

इस लेख में हम आपको ये नहीं बताएंगे कि, अयोध्या राम मंदिर विवाद आखिर क्या था... बल्कि श्री राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में स्थित एक ऐसे राम मंदिर के बारे में बताएंगे जो 100 साल पुराना है। इस मंदिर की विशेषताओं में सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर 80 एकड़ की जमीन भगवान राम के नाम पर दर्ज है। 

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भगवान रघुनाथ जी महराज के नाम से दर्ज है जमीन 

दरअसल, मंदिर निर्माण के समय तात्कालिक मालगुजार रामसुंदर अग्रवाल जी ने 80 एकड़ जमीन इस मंदिर के नाम की थी। वह अभी भी शासकीय रिकॉर्ड में भगवान रघुनाथ जी महराज के नाम से दर्ज है। अद्भुत वास्तुकला का नमूना यह मंदिर सन् 1923 में बनाया गया है। इस मंदिर में लगी नक्काशीदार मार्बल उस समय इटली से मंगवाई गई थी। यह पूरे छत्तीसगढ़ का ऐसा इकलौता मंदिर है जहां पर श्री राम, मां जानकी, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ विराजित हैं। 
 
अग्रवाल समाज के लोगों ने किया हवन-पूजन 
इस मंदिर को 100 साल पूरे हो गए। इसके अलावा 500 साल के विवाद, संघर्ष और बलिदान के बाद 22 तारीख को रामलला मंदिर में विराजित होंगे। इसी खुशी में  रविवार को बलौदाबाजार जिले के छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज ने विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन किया।  इस आयोजन में बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। मंदिर में भगवान राघवेंद्र को हवन-पूजन के बाद छप्पन भोग लगाया गया। 

shree ram devotees
हवन-पूजन करते रामभक्त
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