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कोरबा के भुरूमाटी गांव में बच्चों को शिक्षा देने के लिए मस्ती की पाठशाला खोली गई है। यहां पर बच्चे भी बड़े मजे से पढ़ाई कर रहे हैं। 

उमेश यादव-कोरबा। कोयला, एल्युमिनियम, बिजली सहित कई उद्योगों के कारखाने का  संचालन कोरबा जिले में हो रहा है। यहां से सबसे अधिक राजस्व प्रदेश को प्राप्त होता है। विकास के मामले में अग्रणी होने के बावजूद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का आलोक अब तक नहीं बिखर सका है। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार माने जा रहे हैं। ऐसे में अकलतरा के पास भुरूमाटी गांव में बच्चों को औपचारिक शिक्षा देने के लिए मस्ती की पाठशाला चलाई जा रही है। बच्चे खूब मजे के साथ इसमें अपनी भागीदारी दे रहे हैं।
घर में मिलने वाले संस्कार और वहां के परिवेश के आधार पर बच्चे बहुत कुछ सीख लेते हैं और इसलिए मां को सबसे पहला गुरु कहा जाता है। भारत के कोने-कोने में इसी प्रकार की मान्यता बनी हुई है और इसे लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है। घर की शिक्षा के बाद बच्चों के लिए अगला पड़ाव विद्यालय हुआ करते हैं जहां से वे आगे पढ़ाई करते हैं। यहां से उन्हें शिक्षकों के जरिए ज्ञान प्राप्त होता है। कहीं नर्सरी तो कहीं आंगनबाड़ी और फिर इसके बाद प्राथमिक विद्यालय की बारी आती है, जो बच्चों को अक्षर से आगे की जानकारी देने का काम करते हैं। 

बच्चों को शिक्षित करने में जुटीं शीला
क्या हो जब किसी क्षेत्र में इस प्रकार की व्यवस्था ही न हो। इसका जवाब यही हो सकता है कि, कोई और तरीके से बच्चों को जोड़ने के साथ उन्हें शुरुआती शिक्षा देने के लिए काम होगा।  जनजतीय बाहुल्य कोरबा विकासखंड के अरतरा पंचायत के भुरूमाटी गांव में मस्ती की पाठशाला शुरू करने के पीछे यही कारण है। गांव में बच्चों को वर्णमाला से लेकर गिनती और पहाड़े की जानकारी देने का काम शीला माझवर कर रही हैं। देवपहरी से पढ़कर शीला बच्चों को पढ़ाने में लगी हुई है। वह बताती हैं कि, यहां से प्राथमिक विद्यालय दूर है और आंगनबाड़ी नहीं है इसलिए इस तरह की कोशिश की जा रही है। बच्चों के हित में यहां पर सेवा धाम ने शेड बना कर दिया है। 

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मस्ती की पाठशाला, तस्वीरें...

दूरस्थ इलाकों में शिक्षा व्यवस्था चुनौतीपूर्ण 
शीला बताती हैं कि, इस क्षेत्र में सुविधा बढ़ाने की जरूरत है। अगर नियमित रूप से शिक्षा दी जाए तो यहां के बच्चों को काफी लाभ मिल सकेगा। शिक्षा के क्षेत्र को बेहतर करने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है और संसाधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। दूरस्थ इलाके में जिस तरह की चुनौतियां बनी हुई है उसे ध्यान में रखने के साथ इस तरफ आवश्यक काम करने के बारे में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है।

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