संतोष कश्यप- अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में 8वीं कक्षा के एक छात्र ने हास्टल में ही फांसी लगाकर जान दे दी। वह प्री मैटिक अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास दरीमा में रहकर पढ़ाई कर रहा था। छात्र की आत्महत्या की खबर फैलते ही बालक छात्रावास में हड़कंप मचा गया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मामला दरीमा थाना क्षेत्र का है। 

Pre Matic Scheduled Tribe Boys Hostel

 मिली जानकारी के अनुसार, छात्र का नाम मुकेश तिर्की था। वह सीतापुर ब्लाक के ग्राम बिशुनपुर का रहने वाला था। वह दो साल से प्री मैट्रिक बालक छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहा था। बताया जा रहा है कि, छात्र पथरी की बीमारी के ग्रसित था। दोस्तों ने बताया कि, वह तीन दिन से स्कूल नहीं जा रहा था। बुधवार को भी वह स्कूल नहीं गया। शाम को स्कूल से जब उनके दोस्त वापस लौटे तो मुकेश के कमरे का दरवाजा बंद था। रोशनदान से झांकने पर उसकी लाश फंदे पर लटक रही थी।

छात्र ने क्यों दी जान ?
 
जैसा कि छात्र  के सहपाठियों ने बताया, वह पथरी से पीड़ित था। तो क्या हास्टल वार्डन या उनके टीचर्स को इस बात की जानकारी नहीं थी। क्या उसके परिजनों को भी इस बारे में मालूम नहीं था। क्या सरगुजा जिला मुख्यालय से लगे दरीमा में पथरी का इलाज भी संभव नहीं था। इतनी मामूली सी बातों पर बच्चों की मौत, व्यवस्थाओं की पोल खोल रही है।