रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से सड़क मार्ग का विस्तार होगा। केंद्र सरकार ने पहले जंगलों, सुदूरवर्ती गांवों में सडक निर्माण कर मुख्य सड़क से जोड़ने वाली परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपए की धनराशि का आवंटन तय किया था, उसे अब एकदम से बढ़ाकर दोगुना यानि 200 करोड़ कर दिया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नक्सली समस्या को मार्च 2026 तक जड़ से उखाड़ फेंकने के ऐलान के बाद न केवल छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ को तेजी से बूझने का काम शुरू कर दिया गया, बल्कि बस्तर के जंगलों में सैन्य कैंपों की स्थापना को भी गति दे दी गई है। ताकि सेना के बूटों की धमक से नक्स्ली या तो मूलधारा में वापस आएं फिर सफाये को तैयार रहें।
केंद्र सरकार के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि, रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट फॉर लेफ्ट विंग एक्ट्रीमिस्म अफेक्टेड एरिया योजना के तहत अब छत्तीसगढ समेत आंध्र, बिहार, झारखंड, मप्र, ओडिशा, तेलंगाना और उप्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सडकों का जाल बिछाने के लिए एक हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया है। इसमें सबसे अधिक दो-दो सौ करोड़ की राशि छत्तीसगढ़ और झारखंड के लिए रखी गई है। इनके अलावा आंध्र को 150 करोड, बिहार को 20 करोड़, मप्र को 140 करोड़, महाराष्ट्र को 140 करोड़, ओडिशा को 20 करोड़, तेलंगाना को 110 करोड और उप्र को 20 करोड रुपये की राशि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सडक निर्माण के लिए आवंटित किये जा रहे हैं।
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नौ राज्यों के 44 जिले
सूत्रों ने बताया कि, नक्सल प्रभावित नौ राज्यों के 44 नक्सल प्रभावित जिलों को चिन्हित किया गया है, जहां पर जंगली इलाके का फायदा उठाकर नक्सली प्रशासन का दबाव पड़ने पर एक राज्य से दूसरे राज्य में भागकर दुबक जाते हैं। ऐसे सभी क्षेत्रों को बेहतर पक्के सडकों से जोड़ने की योजना है। सडकें बनें, मशीनरी और मैन पॉवर को नक्सली नुकसान न पहुंचा पाएं उसका भी पुख्ता प्रबंध किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि गत 2 सितंबर को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 9 नक्सल प्रभावित राज्यों के 44 नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाने के लिए 500 करोड़ रुपए की पूर्व निर्धारित योजना को बढ़ाकर 1 हजार करोड़ कर दिया है।