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राज्य में राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या बढ़ाने असम स्थित मानस नेशनल पार्क से वर्ष 2019-20 में दो मदा वनभैंसा लाने की योजना बनाई गई।

रायपुर। जंगल में मोर नाचा किसने देखा की कहावत को चरितार्थ करते हुए छत्तीसगढ़ का वन महकमा देखा जा सकता है। दरअसल पूरा मामला चार वर्ष पूर्व असम स्थित मानस नेशनल पार्क में रेस्क्यू किए गए दो मादा वनभैंसो के लिए पानी की व्यवस्था करने साढ़े चार लाख रुपए की राशि खर्च करने का मामला सामने आया है। 

गौरतलब है, राज्य में राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या बढ़ाने असम स्थित मानस नेशनल पार्क से वर्ष 2019-20 में दो मदा वनभैंसा लाने की योजना बनाई गई। इसी योजना के तहत वनभैंसा लाने असम में बोमा बनाया गया। बोमा बनाने में लाखों रुपए खर्च कर दिए, जिसका हिसाब विभाग के पास नहीं है। असम में जो वनभैंसा रेस्क्यू किए गए थे, उन वनभैंसों को दो महीने तक बोमा में रखा गया था। बोमा में रह रहे वन भैंसों के लिए पानी की व्यवस्था करने दो माह में चार लाख 60 हजार रुपए खर्च किए गए। इस संबंध में अफसरों से संपर्क कर जानकारी जुटाने की कोशिश की गई, लेकिन अफसर इस संबंध में कुछ भी बोलने से बचते नजर आए।

ब्रीडिंग सेंटर पूरी तरह से अवैध

केंद्र सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में संसोधन करते हुए आदेश जारी किया है कि एक अप्रैल 2023 के बाद नेशनल पार्क, अभयारण्य में किसी तरह से बीडिंग सेंटर नहीं बनाया जा सकता। ऐसे में बारनवापारा में वनमैसों के लिए बनाया गया ब्रीडिंग सेंटर पूरी तरह से अवैध है। असम से लाए गए वनमैसों का क्या करना है, इस पर वन विभाग को निर्णय लेना होगा। केंद्र के आदेश के बाद उदंती-सीतानदी में संचालित वनभैंसा ब्रीडिंग सेंटर को बंद कर दिया गया है।

कूलर के साथ ग्रीन नेट 

असम से एक नर तथा एक मादा वनभैंसा लाने के बाद वर्ष 2023 में और चार सब एडल्ट मादा वनभैंसा लाया गया है। उन वनमैंसों को रखने के लिए बारनवापारा अभयारण्य में बाड़ा बनाया गया है। साथ ही वनभैंसों को कूल रखने आधा दर्जन कूलर खरीदी करने के साथ ग्रीन नेट लगाने तथा बाड़ा बनाने में 15 लाख रुपए की राशि खर्च की गई है। इसके साथ ही वर्ष 2020 तथा वर्ष 2023 में वनभैंसों को परिवहन कर बारनवापारा लाने 58 लाख रुपए की राशि खर्च की गई है।

विभागीय अफसरों का यह कहना

विभागीय अफसरों के मुताबिक असम के मानस नेशनल पार्क में वनमैसों के लिए पानी के लिए चार लाख 56 हजार 580 रुपए की राशि आबंटित की गई थी, उक्त राशि में से दो एचपी के सोलर पंप लगाकर पानी की व्यवस्था की गई थी। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल करने वाले वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी के मुताबिक वनमेंसा की वंश वृद्धि करने वन विभाग का प्लान पूरी तरह से फेल हो गया है। वनमेंसों के रखरखाव में वन विभाग ने पिछले चार वर्षों में कितनी राशि खर्च की है इसकी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए।

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