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छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने बुधवार को नक्सल क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, पुलिस वाले भरमार बंदूक आम लोगों के सामने रखते हैं, फिर उन्हें नक्सली बताकर मार देते हैं। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने नक्सल क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मियों पर बड़ा आरोप लगा दिया। महंत ने कहा कि, पुलिस वाले भरमार बंदूक ले जाकर आम लोगों के सामने रख देते हैं, और उन्हें नक्सली बताकर मार देते हैं। 

दरअसल नेता प्रतिपक्ष महंत ने नक्सल क्षेत्रों में आम नागरिकों की मौत के संबंध में सवाल पूछा था। उनहोंने पूछा था कि, पिछले छह महीने में कितने आम नागरिकों को नक्सलियों ने मारा। नेता प्रतिपक्ष के सवाल पर जवाब देते हुए गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा- छह महीने में 19 जवान शहीद हुए, 88 जवान घायल हुए। छह महीने में 34 आम नागरिकों को नक्सलियों ने मारा। उन्होंने बताया कि, इनमें से 4 को जन अदालत में मारा गया, 6 आईडी ब्लास्ट में, 24 लोगों की मुखबिरी के शक में हत्या की गई। 

भरमार बंदूक से फायरिंग होते किसने देखा: महंत 
इसके बाद नेता प्रतिपक्ष महंत ने कहा- मारे गए नक्सलियो में कितने इनामी नक्सली थे, कितने बाहरी थे। तब गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा- 137 नक्सलियों पर इनाम था। तब फिर से महंत ने पूछा कि, अब तक कितने बन्दूक जब्त हुए, कितने चलते हैं, भरमार बन्दूक से फायरिंग होते देखे हैं। उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि, पुलिस वाले आम लोगों के सामने भरमार बन्दूक लेकर रख देते हैं और उन्हें नक्सली बता देते हैं। जाँच काराएंगे क्या, भरमार बन्दूक चलने लायक़ है या नहीं। 

पुलिसकर्मियों पर आशंका जताना गलत : शर्मा
इस पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, कोई मर गया उसके पास बंदूक रखकर फोटो खिंचा लेना उचित नहीं है। यह आशंका भी गलत है, नक्सलियों के पास AK 47 भी बरामद हुए हैं। इस पर विधायक विक्रम मण्डावी ने कहा- पीडिया गाँव में 10 निर्दोष ग्रामीणों को मारा गया। विक्रम मंडावी के इस आरोप पर गृह मंत्री ने कहा- इस तरह के आरोप लगाकर सुरक्षा बलों का मनोबल मत तोड़िए। इस पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर नारेबाजी होने लगी।

नक्सल क्षेत्रों में पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग के लिए नई नीति
मानसून सत्र में बुधवार को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिसकर्मियों की पदस्थापना का मामला उठाया गया। कांग्रेस विधायक सावित्री मंडावी ने गृह मंत्री से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से पुलिसकर्मियों की मैदानी इलाकों में पदस्थापना का क्या प्रावधान है? पदस्थापना के लिए विभाग के क्या दिशा निर्देश हैं? कर्मचारियों के लिए दिशा- निर्देश कब तक जारी होंगे, उनकी आवास की क्या व्यवस्था है? 

54 साल के कम उम्र वाले पुलिसकर्मियों की नक्सल क्षेत्रों में तैनाती
इस सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा- ऐसे पद जो उप निरीक्षक से निरीक्षक के पद पर प्रमोट होते हैं, उनकी कम से कम 3 सालों तक के लिए नक्सल क्षेत्रो में पदस्थापना की जाती है, या जिन कर्मचारियों की उम्र 54 वर्ष से कम है, उनकी भी पदस्थापना का प्रावधान है। नक्सल इलाकों में 3 साल नौकरी के बाद पुलिसकर्मियों की अन्य जिलों में पदस्थापना का प्रावधान है। 

पिछले पांच साल में नहीं बनाए पुलिसकर्मियों के लिए आवास
उन्होंने बताया कि, नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिसकर्मियों की पदस्थापना का विभाग से दिशा निर्देश जारी है। पुलिस विभाग में पदस्थ कर्मचारियों के लिए 18,355 आवास उपलब्ध हैं। 898 आवास निर्माण किए जा रहे है, बाकी के आवास 2024 - 25 के मुख्य बजट में प्रावधानित है। श्री शर्मा ने कहा कि, पिछले 5 सालों में आवास को लेकर काम नहीं किया गया, इसलिए हमको ज्यादा काम करना पड़ेगा।

जल्द आएगी नई पोस्टिंग नीति: शर्मा
इस पर विधायक सावित्री मंडावी ने कहा- कुछ कर्मचारी 2 या 3 साल में नक्सल इलाकों से अपना ट्रांसफर करा लेते हैं, लेकिन कुछ 10 सालों से भी ज्यादा समय से वहीं नौकरी कर रहे हैं। उनके लिए भी अन्य जिलों में ट्रांसफर की नीति होनी चाहिए। इस पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा- नक्सल प्रभावित इलाकों में काम कर रहे पुलिसकर्मियों के लिए नीति बनाई जा रही है, जल्द ही नीति सबके सामने होगी। नीति आने के बाद किसी भी कर्मचारी को नेता मंत्रियों के दरवाजे पर स्थानांतरण के लिए चक्कर नही काटना पड़ेगा।

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