राजनांदगांव। जमीन की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लांच की गई नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग करने में किसान रूचि नहीं दिखा रहे हैं। यही कारण है कि इस साल सोसायटियों में नैनो यूरिया 18 हजार और नैनो डीएपी 300 बोतल का भरपूर स्टाक होने के बाद भी किसान इसे खरीदने से तौबा कर रहे हैं। सोसायटियों द्वारा नैनो यूरिया और डीएपी के उपयोग से होने वाले फायदे भी किसानों को बताये जा रहे हैं, लेकिन वे पारंपरिक यूरिया और डीएपी की मांग ही कर रहे हैं।
देश में यूरिया और डीएपी की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार ने नैनो यूरिया के बाद अब नैनो डीएपी भी लांच किया है। कृषि विभाग द्वारा नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग से होने वाले फायदे की लगातार जानकारी किसानों को दी जा रही है, लेकिन जिले के किसानों ने इसके उपयोग से तौबा कर रखा है। यही कारण है कि खरीफ सीजन में इस बार 18 हजार नैनो यूरिया और तीन हजार नैनो डीएपी का भंडारण सोसायटियों में किया गया है, लेकिन अभी तक एक भी बोतल की बिक्री नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि जिले में पारंपरिक यूरिया और डीएपी के संकट के हालात के बीच भी किसान नैनो के उपयोग से बच रहे हैं।
क्या है नैनो यूरिया
नैनो यूरिया एक नैनो तकनीक पर आधारित उर्वरक है। जिसका उपयोग पौधों और फसलों को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन प्रदान करने के लिए किया जाता है। नैनो यूरिया उर्वरक किसानों के लिए एक स्थायी विकल्प के रूप में सामने आया और उन्हें स्मार्ट कृषि की दिशा में कदम बढ़ाते बेहतर फसल की पैदावार हासिल करने में मदद कर रहा है।
नैनो यूरिया के फायदे
नैनो यूरिया फसल में नाईट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता है। फसल और पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ाता है। फसल उत्पादन में वृद्धि करता है। फसल में खाद की लागत को कम कर किसानों की आय में वृद्धि करता है। नैनो यूरिया फसलों की गुणवत्ता में सुधार करता है। नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने में मदद करता है। इसका परिवहन और भंडारण का खर्च कम होता है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।
खाद का संकट !
सोसायटियों में इस बार यूरिया और डीएपी खाद के संकट के हालात निर्मित होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। कृषि विभाग ने 28 हजार मैट्रिक टन यूरिया का लक्ष्य रखा था। जिसके विरूद्ध अभी तक 19 हजार मैट्रिक टन का भंडारण हुआ है। जिसमें से किसानों ने 14 हजार 453 मैट्रिक टन का उठाव भी कर लिया है। सोसायटियों में सिर्फ 5 हजार मैट्रिक टन यूरिया ही शेष है। वही हाल डीएपी का है। सोसायटियों और निजी दुकानों में सिर्फ 1302 मैट्रिक टन डीएपी शेष है।