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ग्राम बाघमार में कई सिपाही स्व. हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी की पुण्यतिथि में श्रद्धांजलि देने पहुंचे। ये वही मांझी सरकार है, जिन्होंने अंग्रेजो की नाक में दम कर दिया था। 

राहुल भूतड़ा- बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम बाघमार में कई सिपाही स्व.हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी की पुण्यतिथि में श्रद्धांजलि देने पहुंचे। ये वही मांझी सरकार है, जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सेना से काफी प्रेरित होकर सेना बनाई थी। गुरुवार को बड़ी संख्या में वर्दीधारी सैनिक समाधि स्थल पर पहुंचे। पारंपरिक पूजा के साथ इस तीन दिवसीय आयोजन का शुरुआत हुई। 

Army soldiers parading
परेड करते सेना के जवान 

यह संस्था के संस्थापक स्व. हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी का निवास स्थान है और यहीं उनकी समाधि भी है। यहां हर साल 5 दिसंबर को सिपाही श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं। आज दोपहर पारंपरिक पूजा के साथ इस आयोजन की शुरुआत हुई। जिसमें स्व.हीरासिंह देव की धर्म पत्नी फूलवा देवी, बेटा कुंभदेव कांगे और उनका पूरा परिवार मौजूद था। इस संस्था के संस्थापक स्व.हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी के निधन के बाद इसकी बागडोर उनकी धर्म पत्नी फूलवा देवी ने संभाली हुई है। वो इस संस्था के माध्यम से उनके बताये मार्गों का अनुसरण करते हुये सैनिकों को जीवन मे आगे बढ़ने की सीख देती हैं। 

सैनिकों में महिलाएं भी शामिल 

ये सैनिक आजाद हिंद फौज के सिपाहियों की वर्दी और अनुशासन को अपनाकर ये काफी गौरव महसूस करते हैं। ऐसे समय में हर साल ये सिपाही यहां आते हैं। मुश्किल हालातों मे भी इन सैनिकों की आस्था अपनी सरकार के प्रति जरा भी कम नही होती है। मांझी सरकार के इन सिपाहियों में अपनी सरकार के प्रति अटूट आस्था है। इन सैनिकों में महिलाये भी शामिल है और सभी मे अपनी सरकार के प्रति गजब का समर्पण है। इनके दिलों मे कंगला मांझी के लिये अपार श्रद्धा है। 

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