तुलसी राम जायसवाल- भाटापारा । छत्तीसगढ़ के भाटापारा के शासकीय प्राथमिक शाला नवीन माता देवालय में 80 छात्र-छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इस स्कूल की हालत इतनी खराब है कि, न तो खेल का मैदान है और न ही छात्र-छात्राएं स्कूल के बाहर सुरक्षित खेल सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के भाटापारा के शासकीय प्राथमिक शाला नवीन मता देवालाय में 80 छात्र-छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. @BalodaBazarDist #Chhattisgarh @SchoolEduCgGov #students pic.twitter.com/2dIXCBjWny
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) October 23, 2024
1972 में हुई थी स्कूल की स्थापना
1972 में स्थापित इस स्कूल ने पहले भी कई छात्रों को शिक्षा दी है, जो आज विभिन्न उच्च पदों पर कार्यरत हैं। लेकिन आज यह स्कूल अपने मौलिक अधिकारों से वंचित छात्रों के लिए संघर्ष का मैदान बन गया है। छात्रों के पास खेलने के लिए न तो मैदान है और न ही वे बाहर सुरक्षित खेल सकते हैं, क्योंकि बिजली के ट्रांसफार्मर स्कूल के बाहर खतरनाक रूप से स्थापित हैं। इसके अलावा, स्कूल के सामने गंदगी और कचरे का ढेर लगा रहता है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। स्कूल के आसपास की स्थिति अत्यधिक खतरनाक है। बिजली का ट्रांसफार्मर स्कूल के बाहर खतरनाक रूप से स्थापित है। शिक्षकों द्वारा की गई बार-बार शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
शिक्षकों की शिकायत पर भी कोई कार्यवाही नहीं
स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि वे लगातार उच्च अधिकारियों को इन समस्याओं के बारे में लिखित शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से केवल आश्वासन मिलता है। ट्रांसफार्मर की समस्या पर तत्कालीन विधायक और एसडीएम को भी सूचित किया गया था, लेकिन रसूखदारों के आगे उनकी भी एक न चली। शिक्षकों द्वारा की गई बार-बार शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
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जनप्रतिनिधि सियासत करने पर तुले
भाजपा पार्षद पुरुषोत्तम यदु ने इस समस्या के बारे में बात करते हुए आरोप लगाया कि, इस वार्ड के कांग्रेसी पार्षद सफाई पर ध्यान नहीं देते। जबकि वे खुद दूसरे वार्ड के पार्षद होने के बावजूद स्कूल के आसपास सफाई करवा रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस पार्षद सुशील सबलानी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे कोई प्रतिक्रिया नही मिली। अब देखना यह है कि इस खबर के प्रकाशित होने के बाद प्रशासन 80 छात्रों को उनके मौलिक अधिकार दिलाने के लिए कोई कदम उठाएगा या फिर बच्चे इसी खतरनाक माहौल में अपने भविष्य की नींव रखते रहेंगे।