श्याम करकू- बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में संचालित माता रुक्मिणी बालिका आश्रम धनोरा में पनीर खाने से अचानक बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। जिसको खाने से बालिका आश्रम की 34 बच्चियां फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गई। जिसके बाद नौ बच्चियों को पीआईसीयू में भर्ती करवाया गया। वहीं दो बच्चियों को मेडिकल कालेज जगदलपुर भेजने के दौरान एक बच्ची ने रास्ते में दम तोड़ दिया। वहीं दूसरे बच्ची का इलाज जगदलपुर में चल रहा है। एफएसएल की टीम बीजापुर अस्पताल पहुंचकर तीनों बच्चों का सैंपल मेडिकल कालेज जगदलपुर भेजा गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, धनोरा में संचालित माता रूक्मिणी बालिका आश्रम में रविवार की शाम को पनीर खाने से 34 बच्चे फूड पाइजनिंग का शिकार होना पड़ा। जिसे खाने के बाद अचानक बच्चों की तबीयत बिगड़ी। सोमवार सुबह तीन से चार बजे के आसपास उल्टी- दस्त, बुखार आने लगा। जिसके बाद आनन फानन में आश्रम के 34 बीमार बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाया और 9 बच्चे पीआईयूसी में भर्ती हैं। घटना की जानकारी मिलते ही माता रूक्मिणी संस्था के संस्थापक और स्वतंत्रता सेनानी धर्मपाल सैनी आनन- फानन में बीजापुर अस्पताल पहुंचे।
बीच रास्ते में एक बच्ची ने तोड़ा दम
वहीं दो बच्चो को मेडिकल कालेज जगदलपुर भेजने के दौरान शिंवानी तेलम कक्षा तीसरी की छात्रा ने रास्ते में दम तोड़ दिया है। माता रुक्मिणी बालिका आश्रम धनोरा में अध्ययनरत् छात्रा कु. पूजा गोटा, प्रमिला कुंजाम, मीना हेमला, राधिका पुलसुम और दीपिका हपका ने बताया,कि रविवार को सुबह आश्रम में खीर पुडी दोपहर को चना आलू और शाम के वक्त पनीर मटर खाने में दिया गया था।
संस्थापक ने बच्ची की मौत पर जताया दुख
माता रूक्मिणी संस्था के संस्थापक धर्मपाल सैनी ने बताया कि, पनीर खाने से धनोरा बालिका आश्रम के 34 छात्रा फूड पाइजनिंग से बीमार हो गये हैं। जिसके चलते सोमवार को माता रूक्मिणी संस्था के संचालक धर्मपाल सैनी बीजापुर अस्पताल पहुंचे। छात्रा शिवानी तेलम की मौत पर दुख जताया। वहीं धनोरा आश्रम पहुंचकर बच्चों से मुलाकात की।
34 बच्चियां अस्पताल में भर्ती, एक की मौत, नौ पीआईसीयू में भर्ती
सिविल सर्जन डाक्टर रत्ना ठाकुर ने बताया कि, फूड पाइजनिंग से 34 बच्चियां को अस्पताल में भर्ती हैं। जिसमें नौ बच्चे पीआईसीयू में इलाज चल रहा है और दो बच्चियों को मेडिकल कालेज जगदलपुर के लिए रिफर किया गया है। वहीं एक बच्ची की मौत हो गयी है। वहीं सीएस डाक्टर रत्ना ठाकुर ने बताया कि, एफएसएल की टीम जिला अस्पताल पहुंचकर तीनों बच्चों का सैंपल को जांच के लिए मेडिकल कालेज जगदलपुर भेजा है। आगे जांच के बाद पता चल पायेगा।
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खाद्य विभाग पर उठ रहे सवाल
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि, जिले में खाद्य सामग्री के मानक तथा अमानक तय करने के लिए खाद्य विभाग तो है। लेकिन खाद्य विभाग की टीम कभी किसी दुकान या होटल से खाद्य पदार्थों के मानक और अमानक निर्धारित करने के लिए किसी तरह का कोई सैंपल लिया हो ऐसा आज तक नजर नहीं आया। अमानक खाद्य पदार्थों के खाने से स्कूल आश्रमों में पढ़ाई कर रहे। मासूम बच्चों को अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है।