रायपुर। हृदय की मुख्य नसों में जम चुके कैल्शियम की मोटी परत की वजह से दो बुजुर्ग मरीजों को हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया था। बाइपास सर्जरी जैसे सुझाव लेकर एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट पहुंचे दो मरीजों को विशेष डिवाइस का उपयोग कर राहत प्रदान की गई। कोरोनरी ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी प्रक्रिया के जरिए नसों में जमे कैल्शियम को पावडर बनाकर बाहर निकाल दिया गया। कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि राजधानी में रहने वाले 77 वर्षीय मरीज के हृदय की पंपिंग क्षमता कम हो गई थी। जांच में उसके हृदय की नसों में कैल्शियम का जमाव मिला था। वहीं भिलाई के 68 साल के मरीज को निजी अस्पताल में इस परेशानी की वजह से बाइपास सर्जरी कराने की सलाह दे दी गई थी। दोनों पेशेंट अपनी-अपनी समस्या के साथ इलाज के लिए एसीआई पहुंचे थे।
360 डिग्री में घूमकर तोड़ता है ब्लाकेज
कार्डियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुणाल ओस्तवाल ने बताया कि ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी प्रक्रिया एक कैथेटर की मदद से पूरी की जाती है। कैथेटर में डायमंड कोटेड खुरदुरा हिस्सा होता है, 360 डिग्री में घूमते हुए नसों के ब्लाक करने वाले कैल्शियम को खुरचकर निकालता है। ऐसी नसें जिनमें सामान्य तरीके से एंजियोप्लास्टी एवं स्टंटिंग नहीं की जा सकती, उनमें यह तरीका अपनाया जाता है।
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नई उपचार सुविधा
आंबेडकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा कि एसीआई में कोरोनरी ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी पद्धति से हृदय रोगियों के लिए नई उपचार सुविधा की शुरुआत की है। शासकीय चिकित्सालय में इस तकनीक का उपयोग कर एसी आई ने उपलब्धि हासिल की है। हृदय रोग के उपचार की दिशा में डाक्टरों की टीम द्वारा किये जा रहे नवाचार मरीजों में अच्छे जीवन की नई उम्मीद जगा रहे हैं।