रायपुर। छत्तीसगढ़ में रेत और गिट्टी के खनन पर बैन लगा हुआ है। यह बैन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल ब्रांच (एनजीटी) ने लगाया है, क्योंकि राज्य के सभी जिलों में अब तक सेंट्रल एनजीटी की अनुमति के बिना ही खदानों को रायल्टी पर्ची पर दी जा रही थी। इसके लिए जिला क्षेत्रीय पर्यावरण  विभाग के अधिकारियों से अनुमति ली जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सेंट्रल एनजीटी ने अब ऐसे सभी राज्यों में जहां सेंट्रल एनजीटी की अनुमति के बिना रेत और गिट्टी की खदानों में उत्खनन का काम चल रहा था, उन सभी पर बैन लगा दिया है, जिससे प्रदेशभर की खदानों पर वैध रूप से उत्खनन का काम पूरी तरह से बंद है। 

खदानों में खनन का काम बंद होने से इसका असर अब रेत और गिट्टी की कीमतों पर पड़ने लगा है, जिससे रेत की कीमत फीट में 5-6 रुपए एवं गिट्टी में 3-4 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। दोनों की कीमत बढ़ने से इसका असर अब मकान, भवन, फ्लैट्स सहित अन्य भवन निर्माण कार्यों पर भी पड़ने लगा है। एनजीटी की नई गाइड लाइन के बाद प्रदेशभर में 15 सौ से ज्यादा खदानों में खनन पर रोक लगाई गई है। इन खदानों में वैध रूप से से तो नहीं, लेकिन कई खदानों पर अभी भी अवैध रूप से खनन किया जा रहा है, जिससे प्रदेशभर में रेत और गिट्टी का अवैध कारोबार चल रहा है।

रेत 12 हजार से सीधे 17-18 हजार रुपए हाईवा हुई

रायपुर जिले में खदानों पर खनन की लगी रोक के बाद रेत के कीमत में भारी उछाल आया है। 12 हजार रुपए हाईवा गाड़ी अब 17-18 हजार रुपए में मिल रही है। इस तरह फीट में 5-6 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। रेत के साथ गिट्टी में भी 3-4 रुपए की बढ़ोतरी हुई है, जिससे 19 हजार हाईवा गिट्टी की कीमत 22-23 हजार रुपए हो गई है।

लगे बैन का खनिज माफिया उठा रहे फायदा

खदानों पर खनन पर लगे बैन का खनिज माफिया जमकर फायदा उठा रहे हैं। रायपुर जिले में 20 दिन में 37 गाड़ियों को पकड़ा गया है। इसमें रेत और गिट्टी से भरी करीब 33 गाड़ियां है। इससे पता चलता है कि जिले की खदानों में अवैध रूप से खनन का काम धड़ल्ले से चल रहा है। इस तरह अवैध कारोबार से जुड़े माफिया खनिजों को बेचकर हर रोज मोटी रकम कमा रहे हैं।

एक नवंबर से खनन पर रोक का आदेश

सेंट्रल एनजीटी भोपाल ब्रांच के आदेश के अनुसार एक नवंबर से प्रदेश में संचालित खदानों पर बैन लगाया गया है, वहीं सूत्रों के अनुसार बैन लगाने से पहले सेंट्रल एनजीटी ने इस संबंध में करीब 6 माह पूर्व नई गाइड लाइन जारी की थी। इसमें बताया गया था कि 2017 के पहले ऐसे गौण खनिज खदानों को जिले की डिस्ट्रक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से पर्यावरणीय स्वीकृति जारी कर दी गई थी और खदानों को चालू करने का आदेश दे दिया गया था, जबकि पूर्व में जारी आदेश में कहा गया था कि डीआ से स्वीकृति लेने के लिए स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सीआ) से अनुमति लेना अनिवार्य है। खनन के लिए केवल डीआ से मिली अनुमति मान्य नहीं है। इसके आधार पर खनन नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद राज्य में सेंट्रल एनजीटी की गाइड लाइन को गंभीरता से नहीं लिया गया और अनुमति लिए बिना ही कई खदानों का टेंडर निकालकर उन्हें अनुमति दे दी गई है। इसे देखते हुए सेंट्रल एनजीटी ने एक नवंबर से सभी खदानों पर खनन पर रोक लगा दी है।