रायपुर। अयोध्या में भगवान राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के दिन यानी 22 जनवरी को महामाईपारा स्थित दूधाधारी मठ की 500 साल से भी ज्यादा पुरानी परंपरा बदलने वाली है। अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के मौके पर भगवान राम जानकी ही नहीं बल्कि स्वामी बालाजी का भी स्वर्ण श्रृंगार किया जाएगा। इससे पहले साल में रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी और विजय दशमी पर ही स्वर्ण श्रृंगार किया जाता था। इस बार 500 साल  पुरानी परंपरा बदलने वाली है। भगवान की महाआरती में संत-महंत ही नहीं बल्कि आसपास के हजारों परिवार भी शामिल होने वाले हैं। 

राजधानी में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी जहां जोर पकड़ने लगा है। वहीं सबसे प्राचीन मठों में शुमार दूधाधारी मठ की परंपरा भी इस साल बदलने वाली है। मठ के महंत राजेश्री रामसुन्दर दास ने बताया कि जब से मठ की स्थापना हुई है। तब से लेकर अभी तक साल में तीन बार ही भगवान राम जानकी और स्वामी बालाजी भगवान का स्वर्ण श्रृंगार किया जाता रहा है। साल 2024 में भी तीन बार निभाई जाने वाली परंपरा के अलावा 22 जनवरी कई कारणों से खास होने वाला है। 500 साल के संघर्ष के बाद आराध्य देव की प्राण-प्रतिष्ठा को देखते हुए मठ में इस साल चौथी बार रामनवमी की तर्ज पर ही उत्सव मनाने की तैयारी है। इसमें संत-महंत के साथ ही सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु भी शामिल होंगे। मठ से सुबह प्रभात फेरी भी निकाली जाएगी।

दो बार प्रयास भी हुआ फेल

महंत ने आगे बताया कि इससे पहले 2020 में जब अयोध्या में मंदिर का शिलान्यास किया गया, तब और इसके बाद 2021 में निर्माण के लिए भूमि पूजन के मौके पर भी मठ में विशेष श्रृंगार करने का प्रयास किया गया। तब कोविड के चलते प्रशासन से इसके लिए अनुमति नहीं मिलने से इस बार उत्सव को यादगार बनाने के लिए मठ में श्रृंगार के साथ ही संत-महंतों द्वारा महाआरती की जाएगी। इसके बाद भजन-कीर्तन का दौर दिनभर चलेगा।

आतिशबाजी और उत्सव भी

रामनवमी की तरह ही मठ में सभी परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा। इसके अलावा जिस तरह से नवमी के मौके पर आतिशबाजी की जाती रही है। उसे परंपरा के अनुरुप जारी रखते हुए उत्सव बनाने की तैयारी है। इसमें आसपास के लोग ही नहीं दूर-दराज से संत-महंत भी शामिल होने के लिए आएंगे। इनकी मौजूदगी में विधि-विधान से आराध्य देव की पूजा में शामिल होने वाले श्रद्धालु स्वर्ण श्रृंगार में भगगवान का दर्शन भी कर सकेंगे।