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स्‍टील उद्योगों की बिजली दर में 4 साल पहले बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। जहां वर्ष 2021- 22 में स्‍टील उद्योगों को लोड फैक्टर में मिलने वाली अधिकतम छूट को 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया था। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्‍टील उद्योगों की बिजली दर में 4 साल पहले बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। जहां वर्ष 2021- 22 में स्‍टील उद्योगों को लोड फैक्टर में मिलने वाली अधिकतम छूट को 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया था। दिलचस्‍प बात तो यह है कि, छूट की सीमा बढ़ाने के लिए बिजली कंपनी की तरफ से किसी भी तरह का प्रस्‍ताव राज्‍य विद्युत नियामक आयोग को नहीं दिया गया था। 

जबकि, इससे उद्योगों को मिलने वाली औसत 300 करोड़ रुपये की छूट बढ़कर 1100 करोड़ रुपये पहुंच गई। इसके कारण स्टील उत्पादकों को प्रति वर्ष लगभग 800 करोड़ का अतिरिक्त लाभ मिला था। लेकिन प्रदेश में स्टील की दरों में कमी के बदले ड़ेढ गुना तक वृद्धि की गई थी। ऐसे में अब इसमें 800 करोड़ रुपये के बंदरबांट की आशंका जाहिर की जा रही है।

स्‍टील उद्योगों की बिजली दरों में नहीं हुई है वृद्धि 

दरसअल, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है। जो वर्ष 2021-22 के पूर्व 8 प्रतिशत थी इस तरह वर्तमान छूट भी 2 प्रतिशत अधिक ही रखी गई है। स्‍टील उद्योगपति इसी छूट को कम किए जाने का विरोध कर रहे हैं। आयोग की तरफ से प्रत्येक वर्ग के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए जो पुनरीक्षित विद्युत दरें घोषित की गई हैं। उनमें खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद टैरिफ में लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट के द्वारा 713 करोड़ रूपये की छूट हाई इलेक्ट्रिसिटी स्टील उद्योगों को दी जा रही है। यह छूट अन्य किसी भी वर्ग के उपभोक्ता को नहीं मिलती है।

ऐसे तय की गई बिजली दरें 

छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा 1 जून 2024 को वर्ष 2024-25 के लिए विद्युत आपूर्ति की नये दरों की घोषणा की गई है। जिसमें उच्चदाब स्टील उद्योगों के प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में मात्र 25 पैसे (4.10 प्रतिशत) की वृद्धि कर 1 जून 2024 से प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार 6.35 रूपये निर्धारित किया गया है। इसके साथ लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है, जो 4 वर्ष पूर्व अचानक 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दी गई थी। 

बिजली कंपनी द्वारा प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया 

नियामक आयोग द्वारा छूट की दर 10 प्रतिशत करने की कार्यवाही इसलिए की गई ताकि अन्य श्रेणी के तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से प्राथमिकता वाले विद्युत उपभोक्ताओं पर कम भार पड़े। पूर्व में वर्ष 2021-22 में टैरिफ आदेश जारी करते समय लोड फैक्टर छूट, अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि पॉवर कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था।

आयोग ने इस आधार पर दिया फैसला 

आयोग द्वारा विगत वर्षों की वास्तविक खपत को आधार मानते हुए उच्चदाब स्टील उद्योगों की इस वर्ष की अनुमानित खपत 11,237 मिलियन यूनिट का आकलन किया है। इस खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद भी टैरिफ में लोड फैक्टर पर मिलने वाले छूट के द्वारा रू. 713 करोड़ की छूट टैरिफ के माध्यम से स्टील उद्योगों को प्राप्त हो रही है। इसके अतिरिक्त उच्चतम दाब की अवधि, जो कि प्रतिदिन पहले 6 घंटे थी, उसको भी टैरिफ में 8 घंटे कर दिया गया है, जिसमें स्टील उद्योगों को 80 प्रतिशत ही बिलिंग होगी।

वर्ष 2017-18 की तुलना में नहीं की गई कोई बढ़ोतरी 

वहीं स्टील उद्योगों के टैरिफ का यदि विगत वर्ष 2017-18 से तुलना करते है तो मांग प्रभार में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है। ऊर्जा प्रभार के दर में भी 6 रूपये प्रति यूनिट से बढ़कर 6.35 रूपये प्रति यूनिट की गई है, जो कि मात्र 35 पैसे प्रति यूनिट (5.83 प्रतिशत) की वृद्धि विगत सात वर्षों में हुई है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में जब यह राशि मात्र 6.35 रूपये है तब महाराष्ट्र में 8.36 रूपये, तेलंगाना में 8.10 रूपये तथा मध्यप्रदेश में 7.15 रूपये है।

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