कुश अग्रवाल-पलारी। वैसे तो शिक्षा का अधिकार (आरटीई) का उद्देश्य गरीब और वंचित तबके के बच्चों को स्कूलों में बगैर किसी भेदभाव के पढ़ने, लिखने का अधिकार प्रदान कराना है। लेकिन कई स्कूल प्रबंधन के कुत्सित सोच के परिणाम स्वरूप आरटीई उनके लिए अभिशाप बन कर रह गया है। इसलिए मुख्य शिक्षा सचिव के निर्देश के बाद बलौदा बाजार जिले के सभी अशासकीय स्कूलों के प्रबंधन के साथ बैठक की गई।
बलौदाबाजार कलेक्टर के.एल. चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को जिला पंचायत सभा कक्ष में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार पर समीक्षा बैठक हुई। बैठक में कलेक्टर ने जिले के समस्त अशासकीय स्कूलों में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अन्तर्गत निर्धारित पात्रता अनुसार बच्चों के प्रवेश और ड्रॉप आउट बच्चों की जानकारी संकलित करने पर विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अन्तर्गत प्रवेश दिए गए बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह शिक्षा प्रदान करने पर जोर देते हुए इन बच्चों पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करने के लिए कहा।
बच्चों में न आने दें हीन भावना- कलेक्टर
कलेक्टर चौहान ने कहा कि, आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चे भले ही आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं लेकिन उनमें प्रतिभा की कमी नहीं होती। जो बच्चे किसी कारणवश औसत स्तर पर पहुंच जाते हें उन्हें प्रतोत्साहित करते हुए उपचारत्मक शिक्षा दें। बच्चों में किसी प्रकार की हीन भावना न आने दें। उन्होंने कहा कि, सभी अशासकीय स्कूलों में आरटीई के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए फ्लेक्स या दीवार लेखन कराएं जिसमें आरटीई के तहत प्रवेश देने एवं उपलब्ध सीटों की संख्या का भी उल्लेख हो। कलेक्टर ने आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों के ड्राप आउट की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए बच्चों की संख्या और ड्राप आउट के कारणों की जानकारी के लिए सभी अशासकीय स्कूलों में प्राचार्य या शिक्षक को साप्ताहिक समीक्षा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि, इस समीक्षा से हर सप्ताह पता चल जाएगा कि कौन विद्यार्थी अनुपस्थित रह रहा है। उस बच्चे के अनुपस्थिति के कारण का पता लगाकर उचित निराकरण किया जाए।
लॉटरी पद्धति से होगा बच्चों का प्रवेश
बताया गया कि, जिले में लगभग 210 अशासकीय स्कूल संचालित हैं जिनमें आरटीई के तहत प्रवेश के लिए लगभग 1952 सीटें आरक्षित हैं। इस वर्ष इन स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश के लिए 5 हजार 589 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें से 4006 आवेदन पात्र पाए गए हैं। पात्र आवेदनों में से बच्चों का प्रवेश लॉटरी पद्धति से होगा। प्रवेश के लिए लॉटरी की प्रक्रिया जारी है।